Breaking: पाकिस्तान ने भारतीय राजनयिक को भेजा वापस, द्विपक्षीय व्यापार भी किया खत्म
BY Jan Shakti Bureau7 Aug 2019 8:52 PM IST
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Jan Shakti Bureau7 Aug 2019 8:52 PM IST
जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) पर भारत सरकार के फैसले से पाकिस्तान (Pakistan) में बौखलाहट देखी जा रही है। जम्मू-कश्मीर से धारा 370 के हटाने और दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के फैसले से तिलमिलनाए पाकिस्तान ने भारत के साथ राजनयिक और व्यापारिक संबंधों को तोडऩे का फैसला लिया है। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, पाकिस्तान सरकार ने भारत के राजदूत को निकालने का फैसला लिया है।
पाकिस्तान ने भारतीय उच्चायुक्त को वापस जाने को कहा है। साथ ही उसने भारत के साथ व्यापारिक संबंधों को भी निलंबित कर दिया है। सूत्रों के हवाले से एएनआई ने खबर दी है कि पाकिस्तान सरकार अपने राजदूत को भारत नहीं भेजने का भी फैसला लिया है, जो इस महीने के अंत में चार्ज लेने वाले थे। इतना ही नहीं, पाकिस्तान में भारतीय उच्चायुक्त अजय बिसारिया को भारत जाने के लिए कह दिया गया है।
"Pakistan expels Indian envoy, suspends trade over Kashmir: Pakistan govt," reports AFP News Agency pic.twitter.com/TcB0HI1yrb
— ANI (@ANI) August 7, 2019
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने टीवी पर एक टिप्पणी की, "हम अपने राजदूत को दिल्ली से वापस बुलाएंगे और भारतीय राजदूत को वापस भेज रहे हैं।" वहीं एक सरकारी बयान में कहा गया है कि पाकिस्तान भारत के साथ राजनयिक संबंधों में बढ़ती कड़वाहट के बीच अपने कट्टर प्रतिद्वंद्वी के साथ द्विपक्षीय व्यापार पर रोक लगाएगा। हालांकि, भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से अब तक इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। बता दें कि इस्लामाबाद में प्रधानमंत्री आवास पर इमरान खान ने राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की बैठक की है और इस बैठक में ही भारत के खिलाफ कई फैसले लिए गए हैं।
बता दें कि इससे पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भारत द्वारा जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस लेने के बाद कहा था कि वह इस मामले को संयुक्त राष्ट्र में ले कर जाएंगे। इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी कहा था कि धारा 370 के हटने से भारत में पुलवामा जैसे और आतंकी हमले हो सकते हैं। गौरतलब है कि भारत सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले प्रावधानों को हटाते हुए सीमावर्ती राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेश में विभाजित कर दिया था। सरकार के इस कदम को संसद की मंजूरी भी मिल चुकी है।
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