नीतीश पर हत्या के इस मामले का जिक्र कर रहे हैं लालू प्रसाद यादव!
BY Jan Shakti Bureau27 July 2017 10:10 PM IST
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Jan Shakti Bureau27 July 2017 10:10 PM IST
नई दिल्ली : बिहार में नीतीश से गठबंधन टूटने के बाद लालू प्रसाद यादव ने नीतीश कुमार के एक पुराने मामले को उछाल दिया है। लालू जिस मामले का जिक्र कर रहे हैं वह नवम्बर 1991 का है। ये वह मामला है जब बिहार में हुए लोकसभा के मध्यावधि चुनाव में बाढ़ संसदीय क्षेत्र में सीताराम सिंह नाम के एक व्यक्ति की गोली मार कर हत्या कर दी गयी थी। लालू ने कहा कि बिहार में बाढ़ में पंडारक थाने में नीतीश पर 302 के तहत मर्डर और आर्म्स केस दर्ज है। लालू ने कहा कि मैं पूरे दस्तावेज के साथ ये आरोप लगा रहा हूं कि भ्रष्टाचार से बड़ा हत्याचार है। जो नीतीश ने किया है। फिर वो जवाब दे कि क्यों मुख्यमंत्री पद पर बने हुए थे। ये नीतीश की कैसी ईमानदारी है। ये कौन सा जीरो टॉलरेंस हैं। भ्रष्टाचार से बड़ा हत्याचार है।
ये था वह मामला
एक रिपोर्ट के अनुसार इस मामले को लेकर उस समय ढीबर गांव निवासी अशोक सिंह ने नीतीश कुमार सहित कुछ अन्य लोगों पर हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था। जिसके बाद 1 सितम्बर 2009 को बाढ़ कोर्ट के तत्कालीन एसीजेएम रंजन कुमार ने इस मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को दोषी पाते हुए उनपर इस मामले में ट्रायल शुरू करने का आदेश दिया। यह मामला हाईकोर्ट में जाने के बाद 2009 से लंबित है। बाढ़ लोकसभा सीट के लिए 16 नवंबर वर्ष 1991 को हुए उपचुनाव के दौरान एक मतदान केंद्र पर कांग्रेस कार्यकर्ता और ढिबर गांव निवासी सीताराम सिंह की हत्या कर दी गयी थी। सीताराम सिंह की हत्या के मामले में बाढ़ के अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत ने पूर्व में नीतीश और दुलारचंद को छोड़कर अन्य तीन आरोपियों के खिलाफ संज्ञान लिया था। एक रिपोर्ट के अनुसार वे आरोपी जिनके खिलाफ अदालत द्वारा संज्ञान लिया गया उनमें से एक योगेंद्र यादव द्वारा इस मामले में पटना उच्च न्यायालय में यचिका दायर किए जाने पर उच्च न्यायालय ने आगे की कार्रवाई पर रोक लगा दी। सीताराम सिंह हत्या मामले के एक गवाह अशोक सिंह ने बाद में बाढ़ के अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में एक प्रतिवाद सह शिकायत पत्र दायर कर आरोप लगाया। इसमें कहा कि बाढ़ संसदीय उपचुनाव के दौरान 16 नवंबर वर्ष 1991 को वे सीता राम सिंह सहित अन्य लोगों के साथ मतदान करने गये थे तभी वहां नीतीश कुमार जो कि जनता दल के उम्मीदवार थे, दुलारचंद यादव सहित अन्य लोगों के साथ पहुंचे और उन्हें वोट देने से मना किया था।
नीतीश के राइफल से चली गोली
अशोक सिंह ने अपने परिवाद पत्र में कहा था कि नीतीश कुमार के साथ उस समय तत्कालीन मोकामा विधायक दिलीप सिंह, दुलारचंद यादव, योगेंद्र प्रसाद और बौधु यादव थे और वे बंदूक, रायफल और पिस्तौल से लैस थे. अशोक सिंह ने अपने परिवाद पत्र में आरोप लगाया था कि इन लोगों द्वारा वोट देने से मना किये जाने पर जब सीताराम ने उनकी बात नहीं मानी तो नीतीश ने उन्हें जान से मारने की नीयत से अपनी राइफल से गोली चला दी, जिससे उनकी घटनास्थल पर ही मौत हो गयी। जबकि उनके साथ आये अन्य लोगों द्वारा की गयी गोलीबारी से सुरेश सिंह, मौली सिंह, मन्नू सिंह एवं रामबाबू सिंह घायल हो गये थे. अशोक सिंह के परिवाद पत्र पर बाढ़ के अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी रंजन कुमार ने 31 अगस्त 2010 को सिंह के बयान और दो गवाहों रामानंद सिंह और कैलू महतो द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य के आधार पर अपराध दंड संहिता 202 के अंतर्गत नीतीश और दुलारचंद यादव को अदालत के समक्ष गत नौ सितंबर को उपस्थित होने का निर्देश दिया था।
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