मोदी सरकार ने हटाई जम्मू-कश्मीर से धारा 370, दो टुकड़ों में बंटा राज्य, जम्मू-कश्मीर अब केंद्र शासित प्रदेश, लद्दाख अलग
BY Jan Shakti Bureau5 Aug 2019 1:56 PM IST
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Jan Shakti Bureau7 Aug 2019 12:38 AM IST
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने का प्रस्ताव किया है, साथ ही राज्य के दो टुकड़े करने का भी ऐलान किया है। जम्मू-कश्मीर को दो टुकड़ों में बांट दिया गया है। जम्मू-कश्मीर अब केंद्र शासित प्रदेश होगा, लेकिन वहां विधानसभा होगी। वहीं लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया है, जहां उपराज्यपाल का शासन होगा। गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में दो संकल्प पत्र रखते हुए जम्मू-कश्मीर से धारा 370 में बदलाव करने की सिफारिश की है। इसी के साथ राज्य के पुनर्गठन का भी प्रस्ताव रखा गया है। अमित शाह ने संकल्प पेश करते हुए कहा कि धारा 370 के सभी खंड लागू नहीं होंगे। राष्ट्रपति ने इस सिफारिश को मंजूरी दे दी है। इसी के साथ जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश बन गया है। इस दौरान शाह के बयान पर सदन में जमकर हंगामा हुआ। आइए बताते हैं आपको कि क्या है धारा 370 और 35ए।
अब क्या होगी व्यवस्था ♦ जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाली धारा 370 के कई अहम प्रावधानों को खत्म कर दिया गया है ♦ जम्मू-कश्मीर राज्य से लद्दाख को अलग कर दिया गया है ♦ जम्मू-कश्मीर अब केंद्र शासित प्रदेश होगा, लेकिन वहां विधानसभा होगी ♦ लद्दाख अलग केंद्र शासित प्रदेश होगा, वहां उप राज्यपाल का शासन होगा
क्या थी धारा 370 साल 1954 में राष्ट्रपति के एक आदेश के बाद संविधान में यह अनुच्छेद जोड़ा गया था, जो जम्मू एवं कश्मीर के लोगों को विशेषाधिकार प्रदान करता है और राज्य विधानसभा को कोई भी कानून बनाने का अधिकार देता है, जिसकी वैधता को चुनौती नहीं दी जा सकती। यह अनुच्छेद जम्मू और कश्मीर के लोगों को छोड़कर बाकी भारतीय नागरिकों को राज्य में अचल संपत्ति खरीदने, सरकारी नौकरी पाने और राज्य सरकार की छात्रवृत्ति योजनाओं का लाभ लेने से रोकता है। राज्य में पीडीपी के साथ गठबंधन की सरकार में शामिल बीजेपी बुनियादी तौर पर धारा 370 के खिलाफ रही। उसके कई चुनावी घोषणा पत्र में सरकार में आने पर धारा 370 को समाप्त करने की बात कही गई थी।
क्या है आर्टिकल 35ए दरअसल अनुच्छेद 35ए, जम्मू-कश्मीर को राज्य के रूप में विशेष अधिकार प्रदान करता है। यह अधिकार 'स्थायी निवासियों' से जुड़े हुए हैं। इसके तहत राज्य सरकार को ये अधिकार है कि वो आजादी के वक्त दूसरी जगहों से राज्य में आए शरणार्थियों और अन्य भारतीय नागरिकों को जम्मू-कश्मीर में किस तरह की सहूलियतें दे या नहीं दे। 14 मई 1954 को भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद के एक आदेश के जरिये संविधान में एक नया अनुच्छेद 35ए जोड़ा गया था। यह धारा 370 का ही अंग है। इस धारा के अनुसार दूसरे राज्य का कोई भी नागरिक जम्मू-कश्मीर में ना तो संपत्ति खरीद सकता है और ना ही वहां का स्थायी नागरिक बनकर रह सकता है।
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