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इस फौजी के कारण मणिपुर को मिला नए हाइवे का गिफ्ट, 22 साल पहले यहीं पर खाई थीं छाती पर गोलियां

इस फौजी के कारण मणिपुर को मिला नए हाइवे का गिफ्ट, 22 साल पहले यहीं पर खाई थीं छाती पर गोलियां
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केंद्र सरकार ने हाल ही में मणिपुर के लिए नए नेशनल हाइवे का एलान किया है। यह हाइवे राज्‍य के तामेंगलॉन्‍ग जिले से होकर गुजरेगा। ऐसा फैसला मणिपुर को नागालैंड से जोड़ने वाले नेशनल हाइवे-2 पर लगातार होने वाले प्रदर्शनों के चलते बंद रहने के कारण लिया गया है। हाइवे के बंद रहने के कारण राज्‍य की जनता को भारी समस्‍याओं का सामना करना पड़ता है। कई आदिवासी ग्रुप अलग-अलग मांगों को लेकर समय-समय पर एनएच-2 को बंद कर देते हैं। इसके चलते नए रास्‍ते की तलाश की गई। लेकिन नए हाइवे की कहानी 22 साल पुराने एक वाकये से जुड़ी हुई है। न्‍यूजलॉन्‍ड्री की रिपोर्ट के अनुसार, इसमें भारतीय सेना के ले. कर्नल डीपीके पिल्‍लई का भी अहम योगदान है। 1994 में पिल्‍लई मणिपुर में तैनात थे। उन्‍हें पुलों को उड़ाने वाले उग्रवादियों की तलाश और पकड़ने का जिम्‍मा दिया गया था।
चार साल बाद पिल्‍लई को इन उग्रवादियों के छुपने की जगह का पता चला। उग्रवादी लोंगेडिपाब्रम गांव में छुपते थे। पिल्‍लई के नेतृत्‍व में सेना ने धावा बोला। लगभग चार घंटे तक चली मुठभेड़ में एक उग्रवादी मारा गया और दो पकड़े गए। लेकिन प्‍लाटून कमांडर पिल्‍लई भी बुरी तरह से घायल हो गए। उनकी छाती और बांह में गोलियां लगी। साथ ही ग्रेनेड ब्‍लास्‍ट से पैर और राइफल बट से स्‍पाइन में चोट आई। मुठभेड़ के दौरान दो बच्‍चे बीच में आने से जख्‍मी हो गए थे। जब राहत कार्य के लिए हेलिकॉप्‍टर आया तो पिल्‍लई ने उन बच्‍चों को भी इलाज के लिए भिजवाया। पिल्‍लई को उनकी बहादुरी के लिए शौर्य चक्र से भी नवाजा गया।
रिपोर्ट के अनुसार, साल 2010 में पिल्‍लर्इ फिर से उस गांव में गए और पूछा कि उन बच्‍चों का क्‍या हुआ। जब वे गांव गए तो उनका जोरदार स्‍वागत किया गया। बच्‍चों के साथ ही गांव के मुखिया और उन पर फायरिंग करने वाले उग्रवादियों ने भी उनसे मुलाकात की। इस मुलाकात के दौरान पिल्‍लई ने गांववालों से सड़क बनवाने का वादा किया। साल 2010 के बाद से पिल्‍लई गांववालों की हर तरह से मदद कर रहे हैं। वे उनके लिए सिलार्इ मशीनें, पानी की योजनाएं, वोकेशनल ट्रेनिंग और खेती से जुड़े प्रोजेक्‍ट लेकर गए। साल 2012 में उन्‍होंने गांव के लिए सड़क का शिलान्‍यास करवाया। अब इसी साल अक्‍टूबर में सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने इस गांव से होते हुए तामेंगलॉन्‍ग को नागालैंड के पेरेन से जोड़ने के लिए 100 किलोमीटर लंबे नेशनल हाइवे को मंजूरी दे दी।
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