UPA सरकार में पेट्रोल के दाम पर 'ताल ठोंकने' वाले ये तिहाड़ी एंकर, अब मोदी सरकार का करेंगे DNA?
BY Jan Shakti Bureau24 May 2018 1:25 PM IST
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Jan Shakti Bureau24 May 2018 7:05 PM IST
पेट्रोल के बढ़ते दाम से आम लोगों की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही। पेट्रोल की कीमत में हर रोज़ 33-34 पैसे और डीजल की कीमत में 25-27 पैसे का इज़ाफा हुआ है। दिल्ली में पेट्रोल जहां 76.57 रुपये लीटर वहीं डीज़ल 67.82 रुपये प्रति लीटर मिल रहा है। पेट्रोल-डीज़ल के दामों में तेज़ी से हो रही बढ़ौतरी के बाद अब लोग सत्ता में आने से पहले वाली बीजेपी को याद कर रहे हैं, जिसने 2013-2014 में पेट्रोल-डीज़ल के दामों में बढ़ौतरी के खिलाफ़ प्रदर्शन करते हुए देश को पोस्टरों से भर दिया था। 'बहुत हुई जनता पर पेट्रोल-डीज़ल की मार, अबकी बार मोदी सरकार'।
सोशल मीडिया पर भी बीजेपी समर्थक कई पत्रकारों ने इसके ख़िलाफ जमकर प्रदर्शन किया था। इस फेहरिस्त में ज़ी मीडिया के सुधीर चौधरी, आजतक के रोहित सरदाना और हेडलाइन टुडे के गौरव सावंत का नाम शामिल है। सुधीर चौधरी ने 11 मई 2011 को ट्वीट कर लिखा था, "बदकिस्मत 14वीं लोकसभा! यूपीए ने जवाबी हमला किया है! पेट्रोल के दाम 5 रुपए बढ़ गए हैं! मुझे लगता है कि वे चुनाव का इंतेज़ार कर रहे थे"। अपने 16 जुलाई 2011 के ट्वीट में सुधीर चौधरी ने लिखा, "तटों की निगरानी करने वाले तेज रफ़्तार बोट्स बेकार पड़े हैं क्योंकि उनके लिए पेट्रोल नहीं है।
हम देश चला रहे हैं या पान की दुकान"? इसी तर्ज़ पर रोहित सरदाना ने 19 जनवरी 2013 को लिखा, "पहले आप पेट्रोल/डीज़ल/एलपीजी के दामों से मार दीजिए और फिर मिडिल क्लास को वापस जीतने के लिए चिंतन शिविर कीजिए! हैरानी है"!
Now that no body is worried about Petrol Prices. Let's revisit some old jokes on #petrolpricehike pic.twitter.com/EI4WEelta5
— Unofficial Sususwamy (@swamv39) May 20, 2018
एंकर गौरव सावंत ने 19 सितंबर 2011 को लिखा, "2011 में तीसरी बार पेट्रोल के दामों में बढ़ौतरी से आम आदमी रो रहा है। 9 महीनों में 10 रुपए बढ़ गए। मंत्रियों को कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि 77 फीसद मंत्री तो करोड़पति हैं"। यूज़र्स ने पत्रकारों के ट्वीट्स के स्क्रीनशॉट्स शेयर करते हुए लिखा, वह भी दिन थे जब पत्रकार हम सबके लिए आवाज़ बुलंद करते थे। अब कोई नहीं है। लोगों को उम्मीद है कि यह सभी पत्रकार एक बार फिर इस मुद्दे को लेकर सरकार के खिलाफ हल्ला बोलेंगे और अपने तीखे ट्वीट्स की दहाड़ से सत्ता की चूलें हिला कर रख देंगे।
ख़ैर यह महज़ एक सोच है, इसका वास्तविकता से कोई संबंध नहीं है।बता दें कि अंतररार्ष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेम की कीमत के आधार पर घरेलू बाज़ार में रोज़ाना पेट्रोल-डीजल के दाम की समीक्षा करती है। क्योंकि कर्नाटक विधानसभा चुनाव थे इसलिए पेट्रोल और डीज़ल में होने वाले इज़ाफे को 19 दिन तक रोककर रखा गया था। अब जब चुनाव ख़त्म हो चुके है तो पेट्रोल और डीज़ल के दाम बढ़ा दिए गए हैं।
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