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रामविलास पासवान के निधन ने बिहार की राजनीति में एक अध्याय का अंत कर दिया है।

रामविलास पासवान के निधन ने बिहार की राजनीति में एक अध्याय का अंत कर दिया है।
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नई दिल्ली: रामविलास पूरे पांच दशक तक बिहार और देश की राजनीति में छाये रहे। इस दौरान दो बार उन्होंने लोकसभा चुनाव में सर्वाधिक मतों से जीतने का विश्व रिकॉर्ड भी बना डाला। उनके नाम एक और रिकॉर्ड भी है जो शायद कोई और नेता न बना पाए और वो ये कि रामविलास देश के 6 प्रधानमंत्रियों की कैबिनेट में मंत्री रहे। सियासत में आगे क्या होनेवाला है, इसे रामविलास समय से पहले ही भांप जाते थे। इसी लिए RJD सुप्रीमो लालू यादव ने उन्हें राजनीति का मौसम वैज्ञानिक तक करार दे दिया था। बानगी के तौर पर वो केंद्र में 6 बार मंत्री बने।

  • 1989 में पहली बार केन्द्रीय श्रम मंत्री
  • 1996 में रेल मंत्री
  • 1999 में संचार मंत्री
  • 2002 में कोयला मंत्री
  • 2014 में खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री
  • 2019 में खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री
  • LJP से पहले पासवान ने बनाई थी दलित सेना

1975 में जब देश में इमरजेंसी का ऐलान किया गया तो रामविलास भी गिरफ्तार कर लिए गए। 1977 में जेल से छूटने के बाद उन्होंने जनता पार्टी की सदस्यता ले ली और पहली बार हाजीपुर से संसद पहुंचे।

इस दौरान रामविलास ने सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से चुनाव जीतने का वर्ल्ड रिकॉर्ड ही बना दिया। LJP तो काफी बाद में बनी लेकिन 1983 में ही रामविलास दलित सेना की स्थापना कर दी।

राजनीति में रहते हुए उनके दो ऐसे फैसले थे जो आगे चलकर मील का पत्थर साबित हुए। इसमें पहला फैसला हाजीपुर में रेलवे का जोनल कार्यालय खुलवाना था जबकि दूसरा फैसला केन्द्र में अंबेडकर जयंती पर छुट्टी घोषित कराने का था।

लालू, रामविलास और नीतीश… एक ही पेड़ के पत्ते कहे जा सकते हैं। तीनों में एक बात समान है कि सबने गरीबी से संघर्ष शुरू किया और आखिर में उस मुकाम को हासिल किया जिसका सपना हर नेता देखता है।

रामविलास पासवान का जन्म 5 जुलाई 1946 को खगड़िया के सुदूर देहात शहरबन्नी में हुआ था। पिता जामुन पासवान की तीन संतानों में रामविलास सबसे बड़े थे, उसके बाद पशुपति पारस और रामचंद्र पासवान।

पिता ने तीनों भाइयों को काफी गरीबी में पाला था, लेकिन रामविलास शुरू से ही जुझारु थे, उन्होंने शहरबन्नी से स्कूली पढ़ाई करने के बाद एमए और एलएलबी कर लिया

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