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उत्तर प्रदेश

Breaking: शाह की नाफरमानी मौर्या की बन गई सबसे बड़ी नादानी, UP में कतरे गए मौर्य के पर, नहीं रहेंगे डिप्टी सीएम !

Breaking: शाह की नाफरमानी मौर्या की बन गई सबसे बड़ी नादानी, UP में कतरे गए मौर्य के पर, नहीं रहेंगे डिप्टी सीएम !
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लखनऊ: यूपी की योगी सरकार में मचे घमासान पर विराम लगाने लखनऊ पहुंचे बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य से कहा कि वह दिल्ली चलकर पीएम नरेंद्र मोदी की कैबिनेट का हिस्सा बने, लेकिन मौर्य ने दिल्ली जाने से इंकार कर दिया है. बीजेपी के जानकार सूत्र बताते हैं कि गुप्तरूप से पार्टी अध्यक्ष शाह से हुई इस वार्ता में मौर्य ने कहा है कि अगर सरकार चलाने में दिक्कत हो रही है तो वह डिप्टी सीएम का पद छोड़कर प्रदेश अध्यक्ष पद पर ही खुश हैं, लेकिन वह किसी भी कीमत पर यूपी नहीं छोड़ेंगे. गौरतलब है कि यूपी के तीन दिवसीय प्रवास पर आये शाह को पार्टी कार्यकर्ताओं और मंत्रियों से वार्ता के अलावा यूपी कि सरकार में चल रही घमासान पर वार्ता करनी थी ताकि यहां सरकार में मंत्रियों के बीच आपस में चल रही कड़वाहट को मिठास में बदला जा सके. बताया जाता है कि इसी के चलते बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने केशव प्रसाद मौर्य से यहां पहुँचने के बाद अलग से वार्ता की. जिसके बाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने ये साफ कर दिया है कि यूपी का अध्यक्ष किसी नए चेहरे को ही बनाया जायेगा.


मौर्य ने किया दिल्ली जाने से इंकार

सूत्रों के मुताबिक वैसे बीजेपी कि रणनीति ये थी कि सूबे के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को दिल्ली ले जाकर पीएम नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में मंत्री बना दिया जायेगा. जिसके चलते यहां पार्टी में चल रही गुटबाजी खत्म हो जाएगी, लेकिन मौर्य इस बात से राजी नहीं हैं. दरअसल इसकी एक वजह ये भी है कि मौर्य जानते हैं कि उनके दिल्ली जाने का मतलब उनका राजनीतिक करियर समाप्त हो सकता है. इसीलिए उन्होंने शाह से दिल्ली जाने से साफ इंकार कर दिया है. इसके साथ ही उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से ये तक कह डाला कि वह डिप्टी सीएम का पद छोड़ सकते हैं, लेकिन वह दिल्ली जाने की बजाय प्रदेश अध्यक्ष पद पर ही खुश हैं.


शाह ने अध्यक्ष बदले जाने के दिए संकेत

बीजेपी सूत्रों के मुताबिक पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने फिलहाल मौर्य को इस बात के साफ संकेत दे दिए हैं कि अगर वह दिल्ली आते हैं तो उन हैं पीएम मोदी की कैबिनेट का हिस्सा उन्हें बनाया जा सकता है, नहीं तो यूपी का प्रदेश अध्यक्ष तो उन्हें अब बदलना ही है. मालूम हो कि केंद्रीय नेतृत्व का सर पर हाथ होने के कारण डिप्टी सीएम मौर्य अपने विभाग के फैसले खुद ले रहे थे. जिसके चलते सीएम योगी से उनका भीतर ही भीतर मनमुटाव चल रहा था. इसको लेकर सरकार चलाने के लिए सीएम योगी को बड़े संभल कर फैसले लेने पड़ रहे थे. इतना ही नहीं पिछले दिनों मोदी के कुछ सांसदों ने भी इस मामले कि शिकायत प्रधानमंत्री से मिलकर खुद की थी. जिसके बाद ही केशव प्रसाद मौर्य को दिल्ली बुलाने की तैयारी कर ली गयी थी.

केशव के पास दो विकल्प

सूत्रों के मुताबिक यूपी के प्रदेश अध्यक्ष बनते ही केशव प्रसाद मौर्य ने ये सपना देखना शुरू कर दिया था कि अगर यूपी में बीजेपी की सरकार बनती है तो वे यूपी के सीएम बनेंगे. जिसके चलते मौर्य सीएम का नाम घोषित किये जाने के अंतिम समय तक अपने आपको यूपी का सीएम समझते रहे, लेकिन अचानक पीएम मोदी ने गोरखपुर से सांसद योगी आदित्यनाथ को दिल्ली बुलाकर उन्हें यूपी की सरकार चलाने के लिए सीधे लखनऊ भेज दिया. इसके बाद जैसे ही उनके नाम की घोषणा हुई तो मौर्य भीतर से दुखी भी हुए, लेकिन वह योगी का विरोध भी खुलकर नहीं कर सकते थे. नतीजतन पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के आदेश पर उन्होंने डिप्टी सीएम पद स्वीकार कर लिया. जानकर लोग बताते हैं कि यूपी के डिप्टी सीएम की कुर्सी पर बैठकर भी वह अपने आपको यूपी के सीएम से कम नहीं आंक रहे थे. जिसके चलते वह बिना सीएम के कान में डाले बात अपने विभागों के फैसले स्वंय ले रहे थे. जिसके चलते पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने उन्हें इशारों ही इशारों में साफ कर दिया है कि उनके लिए दो रस्ते खुले हैं, इनमें से पहला तो ये कि वह केंद्र में मंत्री बनें रहे या फिर यूपी के डिप्टी सीएम, लेकिन मनमर्जी नहीं चलेगी.

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