Farmers Protest: किसानों ने ठुकराया मोदी सरकार का खाना, सिंधु बॉर्डर से पैक होकर आया लंच
Farmers Protest: किसानों के प्रदर्शन का आठवां दिन भी निकलने को है। पिछले आठ दिन से लगातार किसान कृषि कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं (Farmers Protesting against New agriculture laws) । आज किसानों और सरकार के प्रतिनिधियों में बीतचीत हुई।
Vigyan Bhavan: किसानों के प्रदर्शन का आठवां दिन भी निकलने को है। पिछले आठ दिन से लगातार किसान कृषि कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं (Farmers Protesting against New agriculture laws) । आज किसानों और सरकार के प्रतिनिधियों में बीतचीत हुई। इस बातचीत में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और केंद्रीय रेल मंत्री शामिल थे। बैठक के बीच में जब लुक ब्रेक हुआ, तो किसान प्रतिनिधियों को खाने का ऑफर दिया गया। लेकिन किसानों ने उसे स्वीकार नहीं किया। आज की हुई ये बैठक भी बेनतीजा लगती है।
दिल्ली के विज्ञान भवन (Vigyan Bhavan) में बातचीत के दौरान लंच ब्रेक में सरकार का खाना लेने से मन कर दिया और अपना खाना निकालकर खाने लगे। किसानों का यह कहना था कि जब सरकार हमपर इस कृषि कानून के ज़रिये इतना अत्याचार करने की सोच रही है तो हम उनका खाना भी क्यों स्वीकार करें।
#WATCH | Delhi: Farmer leaders have food during the lunch break at Vigyan Bhawan where the talk with the government is underway. A farmer leader says, "We are not accepting food or tea offered by the government. We have brought our own food". pic.twitter.com/wYEibNwDlX
— ANI (@ANI) December 3, 2020
पहले तीन बार दोनों पक्षों के बीच बैठक(Vigyan Bhavan) हो चुकी है, लेकिन तीनो बार कोई ख़ास समाधान नहीं निकल सका। दूसरी बार हुई बैठक में सरकार ने किसानो को आश्वासन दिया था कि एक समिति बनायी जाए जो इस मुद्दे पर विचार करेगी। लेकिन किसानों ने यह साफ़ कर दिया था कि जब तक सरकार इस काले कानून को वापस नहीं लेती तब तक किसान संघर्ष में जुटे रहेंगे।
देश भर के किसानों की सबसे बड़ी नाराजगी और मोदी सरकार के खिलाफ उनका राष्ट्रव्यापी आंदोलन करने का सबसे बड़ा कारण है नया कृषि कानून। नए कृषि कानून के चलते न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के खत्म होने का डर है। देश भर के किसान अब तक अपनी फसलों को आस-पास की मंडियों में बेचते आए हैं। किसान जिन फसलों को आस-पास की मंडियों में बेचते आए हैं उसका न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी सरकार तय करती थी। वहीं इस नए किसान कानून के बाद सरकार ने कृषि उपज मंडी समिति से बाहर कृषि कारोबार को मंजूरी दे दी है। जिसके चलते अब किसानों को डर है की उन्हें उनकी फसलों का उचित दाम नहीं मिल पाएगा।