किसानों के समर्थन में अवार्ड वापसी का सिलसिला जारी, कई लेखकों ने लौटाया साहित्य अकादमी पुरस्कार
पद्म विभूषण और पद्म भूषण सम्मान के बाद अकादमी पुरस्कार विजेताओं ने भी दिया किसानों का साथ, कानून वापसी तक घरवापसी के मूड में नहीं हैं किसान, दिल्ली बॉर्डर के 10 में से 9 पॉइंट बंद
नई दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन का शुक्रवार को 9वां दिन है। किसान कल होने वाली बैठक के लिए आज रणनीति तैयार कर रहे हैं। इसी बीच किसानों के समर्थन में अवार्ड वापसी का सिलसिला दूसरे दिन भी जारी रहा। आज भी कई मशहूर हस्तियों ने केंद्र सरकार के विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों के समर्थन में अपने अवार्ड वापस किए हैं।
शुक्रवार को मशहूर लेखक डॉ. मोहनजीत, डॉ. जसविंदर और पत्रकार स्वराजबीर ने अपने साहित्य अकादमी अवॉर्ड लौटा दिए। खास बात यह है कि युवाओं में इन कानूनों को लेकर केंद्र की मोदी सरकार के प्रति आक्रोश और ज्यादा है। युवा पंजाबी लेखक यादविंदर संधू ने भी अपना अवार्ड लौटाने की घोषणा की है। उन्होंने कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ भारतीय साहित्य अकादमी से मिला पुरस्कार को लौटाने का फैसला किया है। यादविंदर संधू को वर्ष 2019 में उनके उपन्यास 'वक्त बीतिया नहीं' के लिए भारतीय साहित्य अकादमी ने राष्ट्रीय अवार्ड से नवाजा था।
यादविंदर संधू ने कहा कि वे किसानों के मुद्दों को लेकर बेहद आहत हैं। उन्होंने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, 'मैं खुद एक किसान हूं और मेरे पिता किसान हैं। मेरे सभी रिश्तेदार भी किसान हैं। ऐसे में मैं इस अवार्ड को अपने पास नहीं रख सकता। अगर पंजाब को किसान या किसान को पंजाब कहें तो एक ही बात है। किसानों और खेती के बिना पंजाब की कल्पना भी नहीं की जा सकती। केंद्र सरकार द्वारा पास किए गए काले कानून किसानों और किसानी को खत्म करने वाले हैं। मेरी रचनाओं के पात्र भी खेती, किसानी का प्रतिनिधित्व करते हैं। ऐसे में मैने अपना पुरस्कार वापिस करने का ऐलान किया है।'
बता दें कि गुरुवार को पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने अपना पद्मविभूषण अवॉर्ड लौटा दिया था। उन्होंने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर कहा था कि, ' मैं जो भी हूं किसानों की वजह से हूं। ऐसे में अगर किसानों को अपमान हो रहा है, तो किसी तरह का सम्मान रखने का कोई फायदा नहीं है।' बता दें कि पद्मविभूषण देश का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान है। इसके अलावा शिरोमणि अकाली दल (डेमोक्रेटिक) के चीफ व राज्यसभा सांसद सुखदेव सिंह ढींढसा ने भी अपना पद्मभूषण सम्मान वापस करने का ऐलान किया था। इसके पहले पंजाब और हरियाणा के 30 से ज्यादा खिलाड़ी भी अपने सभी अवार्ड्स को लौटाने की घोषणा कर चुके हैं।
इसी बीच किसान भाइयों को आज पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का भी समर्थन मिल गया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक ममता ने कई किसान नेताओं से फोन पर बातचीत की है। उन्होंने किसान नेताओं को आश्वासन दिया है कि केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ इस आंदोलन में वह और उनकी पार्टी पूरी तरह से किसानों के साथ है। उन्होंने इस आंदोलन का संपूर्ण समर्थन का ऐलान भी कर दिया है।
कानून वापसी तक घर वापसी के मूड में नहीं हैं किसान
बता दें कि किसान केंद्रीय कानूनों को पूर्ण रूप से रद्द करने की मांग कर रहे हैं। कल सरकार से मीटिंग के बाद यह स्पष्ट हो गया था कि कानून वापसी के पहले किसान घरवापसी के मूड में नहीं हैं। क्रांतिकारी किसान यूनियन के लीडर दर्शनपाल ने आज मीडिया से कहा कि मसला सिर्फ MSP का नहीं, बल्कि कानून पूरी तरह वापस लेने का है। केंद्र कानूनों में कुछ सुधार पर राजी है, पर हम नहीं। हमने उन्हें बता दिया है कि पूरे कानून में ही खामी है।'
दिल्ली बॉर्डर के 10 में से 9 पॉइंट बंद
किसान आंदोलनों को देखते हुए दिल्ली बॉर्डर के 10 में से 9 पॉइंट्स को बंद कर दिया है। वहीं बडूसराय बॉर्डर से सिर्फ कार और टूव्हीलर को जाने दिया जा रहा है। हालांकि, तीन वैकल्पिक रास्ते भी तैयार किए गए हैं लेकिन इनपर भी ट्रैफिक की स्थिति बेहद बुरी हो चुकी है। इनसब के बावजूद हरियाणा और पंजाब के किसान लगातार बॉर्डर पर जमा हो रहे हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक आज रात से सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर हजारों युवा और आने वाले हैं। इनका जत्था गांवों से रवाना हो गया है। नौजवान भारत सभा ने बताया कि मोगा, फरीदकोट, मुक्तसर, जालंधर, अमृतसर, गुरदासपुर, नवानशहर, रोपड़, संगरूर और पटियाला से युवा बॉर्डर पर आ रहे हैं।