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जम्मू कश्मीर DDC चुनाव परिणाम: BJP पर गुपकार गठबंधन पड़ा भारी, रूझान में बनाई बड़ी बढ़त

जम्मू-कश्मीर डीडीसी चुनाव की मतगणना जारी है। ताजा रूझानों के मुताबिक गुपकार गठबंधन 84 सीटों पर आगे चल रही है जबकि 4 पर उसके प्रत्याशी जीत दर्ज चुके हैं। वहीं, बीजेपी 43 सीटों पर आगे चल रही है और उसके एक प्रत्याशी को जीत मिली है।

जम्मू कश्मीर DDC चुनाव परिणाम: BJP पर गुपकार गठबंधन पड़ा भारी, रूझान में बनाई बड़ी बढ़त
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जम्मू-कश्मीर डीडीसी चुनाव की मतगणना जारी है। ताजा रूझानों के मुताबिक गुपकार गठबंधन 84 सीटों पर आगे चल रही है जबकि 4 पर उसके प्रत्याशी जीत दर्ज चुके हैं। वहीं, बीजेपी 43 सीटों पर आगे चल रही है और उसके एक प्रत्याशी को जीत मिली है। कांग्रेस की स्थिति अच्छी नहीं है। इसके 20 प्रत्याशी आगे चल रहे हैं और एक सीट पर जीत दर्ज कर चुके है। ये चुनाव काफी अहम माना जा रहा है। दरअसल, केंद्र सरकार द्वारा बीते साल अगस्त में राज्य से विशेष दर्ज खत्म किए जाने के बाद ये चुनाव हो रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी ने दावा किया था कि वो इस चुनाव को जीतेगी, लेकिन अभी तक के रूझानों के मुताबिक पार्टी कुछ खास कमाल नहीं कर पाई है और 'कमल' खिलने से चूक सकता है।

भाजपा के लिए जम्मू-कश्मीर में हुए डीडीसी के चुनाव काफी अहम माना जा रहा हैं। लिहाजा पार्टी ने यहां अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी। बीजेपी ने चुनाव के दौरान यहां 400 से भी अधिक कार्यक्रम किए जिनमें आधे कार्यक्रम केवल कश्मीर में किए गए। बीजेपी ने डीडीसी चुनाव के लिए केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर को प्रभारी बनाया गया था। वहीं, बीजेपी के खिलाफ 7 दलों ने एक साथ मिलकर चुनाव लड़ा है। गुपकार गठबंधन जिसमें नैशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, कांग्रेस, पीपल्स कांग्रेस, आवामी नैशनल कॉन्फ्रेंस, माकपा जैसे दल शामिल थे। ऐसे में डीडीसी चुनाव की लड़ाई काफी दिलचस्प हो गई थी। आज जब इसके नतीजे आने हैं तो राजनीतिक दलों की नजरें भी इस पर टिकी हुई हैं।

इस चुनाव का महत्तव

जम्मू कश्मीर को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए इन चुनावों का कराया जाना बेहद महत्तवपूर्ण था। धारा 370 हटने के बाद राज्य को केंद्र शासित प्रदेश में तब्दील कर दिया गया है। राज्य का पूरा प्रशासन तंत्र बदल चुका है। पहले कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त था जहां उसकी अपनी विधानसभा होती थी और मुख्यमंत्री होता था। 370 हटने के बाद जम्मू कश्मीर को दिल्ली की तरह केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया है जहां विधानसभा तो होगी लेकिन आधी शक्तियां केंद्र के पास होंगी। राज्य में फिल्हाल विधानसभा चुनाव होने की संभावना नहीं थी ऐसे में निकाय चुनाव करवाए गए हैं। ताकि लोगों को मूल भूत सुविधाओं के लिए प्रतिनिधी मिल सके। इन चुनावों के सफलतम आयोजन के बाद राज्य में नई सरकार के गठन के लिए चुनावों पर बातचीत भी आगे बढ़ सकती है। लेकिन यह कश्मीर की पार्टियों की सहभागिता के बिना संभव नहीं होगा। और अभी तक गुपकार अलायंस वाली पार्टियां दोबारा 370 बहाल करने की मांग पर अड़े हैं। ऐसे में राज्य में विधानसभा चुनाव कब होंगे इस पर संशय है।

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