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भोपाल: कोरोना वायरस की वैक्सीन लगने के नौ दिन बाद मज़दूर की मौत

मृतक की पहचान दीपक मरावी के रूप में हुई, हालांकि उनकी मौत 21 दिसंबर 2020 को हो गई थी, लेकिन इसकी जानकारी बीते आठ जनवरी को मीडिया को हुई। कोवैक्सीन भारत बायोटेक और भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा बनाई गई स्वदेशी कोरोना वैक्सीन है, जिसका फाइनल ट्रायल बीते सात जनवरी को पूरा हुआ है।

Madhya Pradesh Bhopal Man Dies After Bharat Biotech Covaxin Trial Dose
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भोपाल: कोरोना वायरस की वैक्सीन लगने के नौ दिन बाद मज़दूर की मौत

जनशक्ति: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से एक बेहद ही चौकाने वाली ख़बर सामने आई है। भोपाल में कोरोना वायरस का टीका 'कोवैक्सीन' लगाए जाने के बाद 45 वर्षीय एक व्यक्ति की मौत हो गई। जिस व्यकति की मौत हुई है उन्हें यह टीका भोपाल भोपाल के पीपुल्स हॉस्पिटल में लगाया गया था।

मृतक की पहचान दीपक मरावी के रूप में हुई, हालांकि उनकी मौत 21 दिसंबर 2020 को हो गई थी, लेकिन इसकी जानकारी बीते आठ जनवरी को मीडिया को हुई। कोवैक्सीन भारत बायोटेक और भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा बनाई गई स्वदेशी कोरोना वैक्सीन है, जिसका फाइनल ट्रायल बीते सात जनवरी को पूरा हुआ है।

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, दीपक भोपाल के टीला जमालपुरा स्थित सूबेदार कॉलोनी में अपने घर में मृत पाए गए थे। अगले दिन उनके शव का पोस्टमॉर्टम हुआ था और प्रारंभिक रिपोर्ट में उनके शरीर में ज़हर मिलने की पुष्टि हुई है। बीते आठ जनवरी को दीपक के 18 वर्षीय बेटे आकाश मरावी ने उनकी मौत की जानकारी दी।

मरावी के बेटे आकाश ने बताया कि वह मजदूर थे और टीका परीक्षण के लिए एक स्वयंसेवक के रूप में शामिल हुए थे। उन्हें 12 दिसंबर को भोपाल पीपुल्स हॉस्पिटल में पहली खुराक दी गई थी।हालांकि मौत कोवैक्सीन का टीका लगवाने से हुई या किसी अन्य कारण से, इसकी पुष्टि पोस्टमार्टम की फाइनल रिपोर्ट आने के बाद होगी। दीपक के शव का विसरा पुलिस को सौंप दिया गया है।

दीपक की पत्नी वैजयंती मरावी ने एनडीटीवी को बताया, 'वो इंजेक्शन लगवा कर आए, सात दिन तक ठीक थे, खाना खा रहे थे। इसके बाद उन्हें चक्कर आने लगे। मैंने उनसे कहा था कि चलते नहीं बन रहा तो आराम करो। वो खाना थोड़ा-थोड़ा खा रहे थे। 21 को उन्हें उल्टी होने लगी मुंह से झाग निकल रहा था।'

उन्होंने कहा, मैंने कहा डॉक्टर के पास चलो वो जिद में रहे कहे कहीं नहीं जाऊंगा मुझे आराम करने दो, मुझसे चलते नहीं बन रहा। कोई बीमारी नहीं थी। उनकी मौत वैक्सीन से हुई है। हमें कहीं से कोई मदद नहीं मिली, कोई नहीं आया। मैंने उनसे कहा था कि वैक्सीन मत लगवाना ये खतरे का काम है। अब हमारे पास कुछ नहीं बचा।'

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