अब संयुक्त राष्ट्र भी किसानों के साथ, शांतिपूर्ण प्रदर्शन को बताया उनका अधिकार
कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो और ब्रिटेन के 36 सांसद पहले ही किसान आंदोलन का समर्थन कर चुके हैं, हालांकि भारत ने इसे आंतरिक मामला बताते हुए विदेशी दखल बर्दाश्त नहीं करने की बात कही है
जनशक्ति। भारत में जारी किसान आंदोलन को दुनियाभर से समर्थन मिलने का सिलसिला लगातार बढ़ता ही जा रहा है। देश और दुनिया के सिख और पंजाबी किसान इस आंदोलन से तो जुड़ ही रहे हैं साथ ही अब यूनाइटेड नेशन यानी संयुक्त राष्ट्र भी किसानों के समर्थन में आ गया है। इसके पहले आज ही ब्रिटेन के 36 सांसदों ने किसान आंदोलन का समर्थन किया है। वहीं भारत सरकार के ऐतराज के बावजूद कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने एक बार फिर से भी किसान आंदोलन का समर्थन करने की बात कही है।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कहा है, 'जहां तक भारत का सवाल है तो मैं वही कहना चाहता हूं कि जो मैंने इन मुद्दों को उठाने वाले अन्य लोगों के बारे में कहा है - शांतिपूर्वक प्रदर्शन करने का अधिकार सभी को है और अधिकारियों को उन्हें यह करने देना चाहिए।' दुजारिक ने यह बात भारत में किसानों के प्रदर्शन से जुड़े एक सवाल पर प्रतिक्रिया देते हुए कही।
इसके पहले खबर आई कि ब्रिटेन के 36 सांसदों ने किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए ब्रिटिश सरकार को एक चिट्ठी लिखी है, जिसमें भारत सरकार पर किसानों की मांगों पर ध्यान देने के लिए दबाव बनाने को कहा गया है। सांसदों ने चिट्ठी में लिखा है कि ये कानून किसानों को शोषण से बचाने और उनकी उपज का उचित मूल्य सुनिश्चित करने में विफल हैं। सांसदों के गुट ने राष्ट्रमंडल सचिव डोमिनिक रॉब से कहा है कि वे पंजाब के सिख किसानों के समर्थन में विदेश और राष्ट्रमंडल कार्यालयों के जरिए भारत सरकार से बातचीत करें।
वहीं कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने एक बार फिर से किसानों को समर्थन करने की बात कही है। भारतीय विदेश मंत्रालय द्वारा उनके पुराने बयान पर आपत्ति जताने के बावजूद ट्रूडो ने कहा है कि कनाडा हमेशा मानवाधिकारों के लिए खड़ा रहेगा। कनाडाई प्रधानमंत्री ने दूसरी बार कहा है कि भारतीय किसान अपने अधिकारों के लिए शांति पूर्वक प्रदर्शन कर रहे हैं और हम इस प्रदर्शन का समर्थन करते हैं।
बता दें कि कल ही भारतीय विदेश मंत्रालय ने पीएम जस्टिन ट्रूडो और उनके कैबिनेट मंत्रियों द्वारा दिए गए बयानों को लेकर कनाडा के उच्चायुक्त को तलब करके नाराज़गी जाहिर की थी। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत इन बयानों को अपने आंतरिक मामलों में दखलंदाजी मानता है। सरकार ने सख्त लहजे में कहा था अपने आंतरिक मामलों में इस तरह का हस्तक्षेप भारत बर्दाश्त नहीं करेगा। विदेश मंत्रालय ने चेतावनी दी थी कि अगर यह जारी रहा तो इससे द्विपक्षीय संबंधों को 'गंभीर रूप से क्षति' पहुंचेगी। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने इसे भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करार दिया था।