संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार संगठन ने दिय मोदी सरकार को नसीहत, कहा- शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के साथ संयम बरतें
संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार कार्यालय (OHCHR) ने भारत में चल रहे किसान आंदोलन पर पहली बार बयान देते हुए अभिव्यक्ति की आज़ादी सुनिश्चित करने पर ज़ोर दिया है
जनशक्ति। भारत में चल रहे किसान आंदोलन के बारे में संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार कार्यालय (OHCHR) ने पहली बार बयान दिया है। संयुक्त राष्ट्र के इस महत्वपूर्ण कार्यालय ने किसानों के आंदोलन के दौरान अत्यधिक संयम से काम लेने की सलाह दी है। उसने यह सलाह भारत सरकार के साथ ही साथ प्रदर्शनकारियों को भी दी है। इसके साथ ही संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार कार्यालय ने सरकार से ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों ही स्तरों पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन और अभिव्यक्ति की आजादी सुनिश्चित करने को भी कहा है।
संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार कार्यालय ने कहा है कि, 'हम भारत में जारी किसान आंदोलन के दौरान सरकारी अधिकारियों और प्रदर्शनकारियों दोनों से अधिकतम संयम बरतने की अपील करते हैं। शांतिपूर्ण तरीक़े से इकट्ठा होने के अधिकार और अभिव्यक्ति की आज़ादी की ऑफ़लाइन और ऑनलाइन दोनों जगह सुरक्षा होनी चाहिए। ये ज़रूरी है कि सभी के मानवाधिकारों का सम्मान करते हुए न्यायसंगत समाधान निकाला जाए।'
#India: We call on the authorities and protesters to exercise maximum restraint in ongoing #FarmersProtests. The rights to peaceful assembly & expression should be protected both offline & online. It's crucial to find equitable solutions with due respect to #HumanRights for all.
— UN Human Rights (@UNHumanRights) February 5, 2021
बता दें कि यह पहली बार है जब संयुक्त राष्ट्र से जुड़े किसी संगठन ने भारत में बीते ढाई महीनों से जारी किसान आंदोलन को लेकर कुछ कहा है। इससे पहले कुछ जानी-मानी विदेशी हस्तियां भी भारत के किसान आंदोलन को लेकर प्रतिक्रिया दे चुकी हैं, जिसपर भारत सरकार ने आपत्ति जताई थी।
किसान आंदोलन के समर्थन में अमेरिकी पॉप स्टार रिहाना, स्वीडन की पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग, अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की भतीजी मीना हैरिस, अभिनेत्री अमांडा सेरनी और गायक जे सिएन समेत कई हस्तियों ने प्रदर्शनकारी किसानों के समर्थन में आवाज उठाई है।
हालांकि भारत सरकार ने इन्हें गैरजरूरी और गैरजिम्मेदाराना करार दिया है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने ट्वीट किया, 'कुछ वेस्टेड इंटरेस्ट ग्रुप्स की ओर से इन आंदोलनों को पटरी से उतारने की कोशिश की जा रही है और इन निहित स्वार्थ समूहों में से कुछ ने भारत के ख़िलाफ़ अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाने की भी कोशिश की है।'