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UP: हाई कोर्ट के जज को भी नहीं मिला सही इलाज, VVIP अस्पताल में भी नहीं मिला बेड, मौत

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जस्टिस वीके श्रीवास्तव की कोरोना से हुई मौत पर जांच बिठा दी है। अदालत ने कहा कि हमें पता चला कि न्यायमूर्ति वीके श्रीवास्तव की लखनऊ के आरएमएल अस्पताल में देखभाल नहीं हुई।

UP: हाई कोर्ट के जज को भी नहीं मिला सही इलाज, VVIP अस्पताल में भी नहीं मिला बेड, मौत
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यूपी की योगी सरकार बड़े-बड़े दावे करने में व्यस्त है, लेकिन दूसरी तरफ आम और खास सभी कोरोना से बेहाल हैं। आलम ये है कि हाईकोर्ट के सिटिंग जज को भी वीवीआईपी अस्पताल में बेड नहीं दिया जाता। प्रॉपर इलाज के अभाव में ही उनकी मौत हो जाती है। अगर खास लोगों का ये हाल है तो आम आदमी की योगी के सूबे में सुनता ही कौन होगा। इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है।

जस्टिस वीके श्वीवास्तव का अप्रैल माह में निधन हो गया था। 23 अप्रैल को उन्हें लोहिया अस्पताल में दाखिल कराया गया तो उनकी सांसें उखड़ रही थीं। टीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक- न तो उन्हें अटेंडेंट मिला और न ही दूसरी सुविधाएं। उन्हें वीवीआईपी अस्पताल में दाखिल ही नहीं कराया गया। लखनऊ में ऐसे लोगों के लिए एक अस्पताल रिजर्व किया गया है, लेकिन जस्टिस श्रीवास्तव को वहां दाखिल ही नहीं किया गया।

उधर, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जस्टिस वीके श्रीवास्तव की कोरोना से हुई मौत पर जांच बिठा दी है। अदालत ने कहा कि हमें पता चला कि न्यायमूर्ति वीके श्रीवास्तव की लखनऊ के आरएमएल अस्पताल में देखभाल नहीं हुई। हालत बिगड़ने पर उन्हें पीजीआई शिफ्ट किया गया, जहां बाद में उनका निधन हो गया। कोर्ट ने यूपी सरकार से इस सारे मामले पर जवाब तलब किया है। होना तो चाहिए था कि योगी सरकार इससे नसीहत लेती, लेकिन हालात ढाक के तीन पांत हैं।

न्यायमूर्ति वीके श्रीवास्तव का जन्म एक जनवरी 1962 को हुआ था। 1986 में विधि स्नातक व 1988 में विधि परास्नातक डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने वकालत शुरू की और 2005 में उच्चतर न्यायिक सेवा में चयनित हुए। 2016 में जिला जज पद पर प्रोन्नत हुए। वह 20 सितंबर 2016 से 21 नवंबर 2018 तक प्रमुख सचिव विधि रहे । 22 नवंबर 2018 को वह इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश नियुक्त हुए। इनका कार्यकाल 31 दिसम्बर 2023 तक था।

जस्टिस वीके श्रीवास्तव की मौत से साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि यूपी केवल भगवान भरोसे ही चल रहा है। लोगों को जरूरी सुविधाएं मुहैया नहीं हो पा रही हैं। सूबे के सीएम दूसरे राज्यों के चुनावों में जाकर यूपी की गौरवगाथा को बयां करते रहते हैं, लेकिन उनके यहां जंगलराज से भी बदतर हालात हैं। उस पर सरकार का नया फरमान कि जो व्यक्ति सच्चाई बयां करेगा उसकी संपत्ति जब्त हो जाएगी।

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