Farmers Protest: सिंधु बॉर्डर पर प्रदर्शन के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने दंगा समेत इतने धाराओं में दर्ज किया FIR, ये रही लिस्ट
नई दिल्ली। कृषि बिल के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी है। पिछले पांच दिनों से किसान दिल्ली बॉर्डर पर डटे हुए हैं। किसान दिल्ली चलो आंदोलन के तहत दिल्ली में प्रवेश करना चाहते हैं तो वहीं पुलिस ने उन्हें सीमा पर रोक दिया है। इस बीच दिल्ली पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ दंगा समेत कई धाराओं में मामला दर्ज कर लिया है।
दिल्ली पुलिस अलीपुर पुलिस स्टेशन में अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। पुलिस ने 27 नवंबर को दिल्ली के सिंघू बॉर्डर पर किसानों के प्रदर्शन को लेकर अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करवाया है, जिनपर सरकारी संपत्ति के नुकसान और दंगा समेत कई धाराएं लगाई गई हैं।
27 नवंबर को किसानों ने उग्र प्रदर्सन करते हुए पुलिस बैरिकेट को तोड़ दिया था। पुलिस ने इस प्रदर्शन के बाद धारा 186, 353, 332, 323, 147, 148, 149, 279, 337, 188, 269 समेत 3 PDPP एक्ट के तहत मामला दर्ज करवाया है। सिंघु बॉर्डर पर 27 नवंबर को प्रदर्शन कर रहे किसानों ने बैरिकेड तोड़कर दिल्ली में प्रवेश करने की कोशिश थी.
आप क बता दें अखिल भरतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने कृषि सुधार कानूनों को वापस लिए जाने तक आंदोलन जारी रखने की सोमवार को घोषणा की। किसान नेताओं ने कहा कि किसी शर्त के साथ सरकार के साथ कोई बातचीत नहीं की जायगी। किसान आंदोलन को लेकर देश भर में भ्रम फैलाया गया जिसका अब खुलासा हो गया है। किसान अपने मन की बात कहने आए है। उनकी बात सुनी जानी चाहिए नहीं तो यह बहुत महंगा पड़ेगा। वहीं, गैर कांग्रेसी नौ विपक्षी दलों ने सोमवार को यहां बैठक कर देशभर के किसानों के चल रहे आंदोलन का समर्थन किया और तीनों विवादास्पद कृषि कानूनों को तत्काल रद्द करने की सरकार से मांग की।
समन्वय समिति के नेता योगेंद्र यादव और गुरनाम सिंह ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पहले यह कहा गया कि कृषि सुधार कानूनों का बिचौलिए विरोध कर रहे हैं जबकि यह पूरी तरह से गलत साबित हो गया है। किसानों को बरगलाए जाने की बात कही गई जबकि बच्चे-बच्चे को कृषि सुधार कानूनों की जानकारी है ।
उन्होंने कहा कि यह कहा गया कि यह आंदोलन केवल पंजाब के किसानों का है जबकि इसमें पूरे देश के किसान शामिल हैं। यह देश का आंदोलन है और पंजाब इसका अगुआ है। किसानों के नेतृत्व को लेकर भी भ्रम फैलाने का प्रयास किया गया जबकि इसमें नेतृत्वकारी लोग हैं ।
योगेंद्र यादव ने कहा कि कृषि सुधार कानूनों को वापस लिए जाने तक आंदोलन जारी रहेगा और यह अपना एतिहासिक महत्व साबित करेगा। किसान नेता गुरनाम सिंह ने कहा कि किसान जहां हैं वहीं डटे रहेंगे। उन्होंने कहा कि किसान अपने मन की बात कहने आए है। उनकी बात सुनी जानी चाहिए नहीं तो यह बहुत महंगा पड़ेगा। उन्होंने कहा कि किसान आरपार की लड़ाई लड़ रहे हैं ।
इस बीच कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने गृह मंत्री अमित शाह से बातचीत की। समझा जाता है कि किसान आंदोलन को लेकर ही दोनों नेताओं के बीच बातचीत हुई है। इसका ब्योरा नहीं मिल सका है ।'यह सिर्फ पंजाब के किसानों का आंदोलन नहीं है'
गैर कांग्रेसी नौ विपक्षी दलों ने किसान आंदोलन का किया समर्थन
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), फॉरवर्ड ब्लॉक (एफबी), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) एवं सोशलिस्ट पार्टी तथा सीजीपीआई और भाकपा माले ने आज यहां अपनी दिल्ली ईकाई की बैठक की और उसमें किसानों के चल रहे आंदोलन का न केवल समर्थन किया बल्कि सरकार द्वारा उन पर दमनात्मक कार्रवाई की भी तीखी निंदा की।
दिल्ली राज्य भाकपा, माकपा, राकांप, द्रमुक, राजद, आरएसपी, फॉरवर्ड ब्लॉक, सीजीपीआई द्वारा संयुक्त बयान के अनुसार किसान आंदोलन के अलावा केंद्र सरकार, हरियाणा सरकार के दमनात्मक व्यवहार को लेकर बैठक हुई। बैठक में तीन किसान विरोधी कृषि बिलों के खिलाफ किसान आंदोलन को पूर्ण समर्थन का प्रस्ताव पास किया गया और भारत सरकार से मांग की कि इन पूँजीपतिपरस्त कृषि कानूनों को तुरंत रद्द कर किसान संगठनों के संयुक्त किसान समिति से सरकार तुरंत बिना शर्त वार्ता करे।
बैठक में दिल्ली की जनता से अपील की गई की देश के अन्नदाताओं को पूर्ण समर्थन कर हर संभव मदद करें। बैठक के बाद सभी नेताओ ने अजय भवन के बाहर आकर सड़क पर किसान आंदोलन और उनकी मांगो के समर्थन में प्रदर्शन भी किया। इस प्रदर्शन में प्रोफेसर दिनेश वार्ष्णेय, सचिव भाकपा दिल्ली राज्य, कॉम. के. एम. तिवारी, सचिव, माकपा, दिल्ली राज्य, रवि, सचिव भाकपा (माले), दिल्ली राज्य, शत्रुजीत सिंह, सचिव आर एस पी दिल्ली राज्य, बिरजू नायक, सीजीपीआई, अजय ने भाग लिया।