किसान आंदोलन: विधायक सोमबीर सांगवान ने खट्टर सरकार से वापस लिया समर्थन, किसान आंदोलन के समर्थन में लिया फैसला
किसान आंदोलन से हरियाणा की मनोहर लाल सरकार की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही हैं, क्योंकि अब गठबंधन की सरकार पर खतरा मंडराने लगा है। दरअसल, मंगलवार को चरखी दादरी से निर्दलीय विधायक सोमबीर सांगवान ने सरकार ने अपना समर्थन वापस ले लिया है।
जनशक्ति: किसान आंदोलन से हरियाणा की मनोहर लाल सरकार की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही हैं, क्योंकि अब गठबंधन की सरकार पर खतरा मंडराने लगा है। दरअसल, मंगलवार को चरखी दादरी से निर्दलीय विधायक सोमबीर सांगवान ने सरकार ने अपना समर्थन वापस ले लिया है। इससे पहले उन्होंने सोमवार को पशुधन विकास बोर्ड चेयरमैन के पद से इस्तीफा दिया था। सांगवान ने कहा कि राजनीति और पद का उन्हें कोई लालच नहीं है। किसी भी पद से बड़ा समाज और लोगों का हित है। भाईचारे को कायम रखने के लिए वह सदैव तत्पर हैं। उन्होंने बताया कि अब वह किसान आंदोलन के समर्थन में सांगवान खाप सहित उतरेंगे और सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद सांगवान किसानों के साथ खड़े होने के लिए दिल्ली चले गए।
बता दें कि इससे पहले भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू पहले ही मनोहर लाल सरकार से समर्थन वापस ले चुके हैं। जहां तक सोमबीर सांगवान के समर्थन वापस लेने की बात बात है तो वह सांगवान खाप के प्रधान भी हैं और खाप ने किसान आंदोलन में शामिल होने का फैसला किया है। इसी के चलते सोमबीर ने चेयरमैनी भी छोड़ दी। सोमबीर सांगवान वही शख्सियत हैं, जो 2019 के विधानसभा चुनाव में चरखी दादरी सीट से भाजपा की उम्मीदवार पहलवान बबीता फोगाट को हराकर विधानसभा पहुंचे थे। करीब 31 सालों से समाजसेवा करते आ रहे सोमबीर सांगवान ने 2014 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की टिकट पर चरखी दादरी से चुनाव लड़ा था। उस वक्त उन्होंने करीब 42 हजार वोट लिए।
फिर 2019 में पार्टी ने सोमबीर को दरकिनार करके दंगल गर्ल बबीता फोगाट को मैदान में उतार दिया। नाराज होकर सांगवान ने पार्टी छोड़ दी और निर्दलीय चुनाव लड़ा। इतना ही नहीं 43849 वोट लेकर विजयी रहे। दूसरे नंबर पर रहे सतपाल सांगवान को 29577 तो बबीता फोगाट को 24786 वोट मिले। भाजपा ने सत्तालाभ पाने की जुगत में सोमबीर सांगवान को राज्य पशुधन विकास बोर्ड का चेयरमैन बना दिया था। अब जबकि भाजपा की केंद्र सरकार की तरफ से लाए गए कृषि कानूनों को लेकर हर तरफ नाराजगी है तो सांगवान के अंदर का किसान जाग गया। किसान होने के साथ सांगवान खाप के प्रधान होने के नाते भी सांगवान इस आंदोलन के साथ खड़े हो गए, क्योंकि खाप का फैसला था।