किसान आन्दोलन: अखिलेश यादव ने मोदी सरकार को दी नसीहत, ट्वीट कर कह दी ये बड़ी बात
समजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव (Samajwadi Party President Akhilesh Yadav) ने गुरुवार को कहा कि सरकार के सभी फैसलों में उसकी मनमानी नहीं आम जनता की भागीदारी होनी चाहिए।
जनशक्ति: समजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव (Samajwadi Party President Akhilesh Yadav) ने गुरुवार को कहा कि सरकार के सभी फैसलों में उसकी मनमानी नहीं आम जनता की भागीदारी होनी चाहिए। उत्तर प्रदेश के पूर्व CM अखिलेश यादव (Former Chief Minister of Uttar Pradesh Akhilesh Yadav) ने अपने ट्वीट में कहा कि 'किसान आन्दोलन' भारत के इस लोकतांत्रिक मूल्य की पुनर्स्थापना का भी आन्दोलन है कि सरकार के सभी फैसलों में आम जनता की भागीदारी होनी चाहिए। सरकार की मनमानी नहीं। इसीलिए भारत में लोकतंत्र को बचाने के लिए देश का हर नागरिक भी आज 'किसान आन्दोलन' के साथ भावात्मक रूप से जुड़ता जा रहा है।
'किसान आंदोलन' भारत के इस लोकतांत्रिक मूल्य की पुनर्स्थापना का भी आंदोलन है कि सरकार के सभी फैसलों में आम जनता की भागीदारी होनी चाहिए; सरकार की मनमानी नहीं.
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) December 10, 2020
इसीलिए भारत में लोकतंत्र को बचाने के लिए देश का हर नागरिक भी आज 'किसान आंदोलन' के साथ भावात्मक रूप से जुड़ता जा रहा है. pic.twitter.com/tLc2SPIwP2
वहीं उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार (Yogi Adityanath government of Uttar Pradesh) की ओर से भी विपक्ष पर किसानों के नाम पर सियासत करने का आरोप लगाते हुए पलटवार किया जा रहा है। योगी (Yogi Adityanath) ने गुरुवार को कहा कि हर तरह से हताश-निराश विपक्ष किसानों (Farmers) को गुमराह करने में लगा है वहीं केन्द्र और प्रदेश सरकार किसानों का हित साधने में दिन-रात प्रयास कर रही हैं।
किसानों को कई तरह की सब्सिडी भी दी जा रही है। मृदा परीक्षण के कई कार्यक्रम शुरू करने के साथ ही न्यूनतम समर्थन मूल्य दिया जा रहा है। पीएम किसान सम्मान निधि के तहत 2.20 करोड़ से अधिक किसानों के खाते में धनराशि भेजी गई है। वहीं विपक्ष, किसानों को भड़काने की राजनीति कर रहा है।
किसानों को विपक्ष के इस षड्यंत्र से सचेत रहना होगा। पहले जहां किसान को 100 रुपये में से सिर्फ 10 रुपये ही मिलते थे, 90 रुपये बिचौलिए ले लेते थे। हमारी सरकार ने इस प्रथा को ही समाप्त कर दिया। अब पूरी धनराशि सीधे किसान के खाते में जाती है। बिचौलिया प्रथा खत्म होने से विपक्ष बेचैन है।