अखिलेश यादव ने मोदी सरकार की पोल खोल, किसान-आंदोलन पर कह दी ये बड़ी बात
अखिलेश ने कहा, बीजेपी अपने प्रिय अमीर मित्रों व पूंजीपति प्रायोजकों का समर्थन करते हुए ऐसे रास्ते पर चल पड़ी है जो किसान, मज़दूर, निम्न व मध्यवर्ग सबके विरुद्ध जाता है.
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अखिलेश यादव ने मोदी सरकार की पोल खोल, किसान-आंदोलन पर कह दी ये बड़ी बात
लखनऊ: समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन के एक माह पूरे होने पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की. उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन बीजेपी सरकार की विफलता का जीवंत स्मारक है.
अखिलेश यादव ने ट्वीट किया, ''आज कृषि-कानूनों के ख़िलाफ़ हो रहे आंदोलन का एक महीना पूरा हो रहा है. भाजपा अपने प्रिय अमीर मित्रों व पूंजीपति प्रायोजकों का समर्थन करते हुए ऐसे रास्ते पर चल पड़ी है जो किसान, मज़दूर, निम्न व मध्यवर्ग सबके विरुद्ध जाता है. किसान-आंदोलन भाजपा सरकार की विफलता का जीवंत स्मारक है.'' उल्लेखनीय है सपा किसानों के आंदोलन का लगातार समर्थन कर रही है.
आज कृषि-कानूनों के ख़िलाफ़ हो रहे आंदोलन का एक महीना पूरा हो रहा है. भाजपा अपने प्रिय अमीर मित्रों व पूंजीपति प्रायोजकों का समर्थन करते हुए ऐसे रास्ते पर चल पड़ी है जो किसान, मज़दूर, निम्न व मध्यवर्ग सबके विरुद्ध जाता है.
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) December 25, 2020
किसान-आंदोलन भाजपा सरकार की विफलता का जीवंत स्मारक है.
वहीं दूसरी तरफ यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आज देश का किसान खुशहाल है. किसानों की खुशहाली पहले भी लाई जा सकती थी, लेकिन पहली की सरकारों के पास समय नहीं था. परिवार, जातिवाद, क्षेत्र और भाषा के नाम पर भेदभाव करना अपनी राजनीतिक जीवन का उद्देश्य बना दिया है. ऐसे लोगों से गांव, किसानों, नौजवानों के लिए रोजगार के विकास की उम्मीद नहीं कर सकते.
यूपीए शासन में सबसे ज्यादा किसानों ने की आत्महत्या- योगी
सीएम ने आगे कहा कि 2004 से 14 के बीच प्रदेश और देश में किसानों ने सबसे ज्यादा आत्महत्याएं की. क्योंकि किसानों को बीज, बिजली, खाद नहीं मिलता था. अनाज का दाम भी नहीं मिलता था. गन्ना किसानों को कई सालों तक उनका भुगतान नहीं मिलता था. निराश किसान कर्ज के नीचे दब चुका था. उसके सामने पलायन, आत्महत्या के सिवा कोई रास्ता नहीं बचा था. फिर माफियाओं को किसानों, गरीबों की जमीनों पर कब्जे के लिए प्रेरित किया जाता था. अब किसानों की जमीनों को मुक्त कराया जा रहा है. माफियाओं के ठिकानों पर बुल्डोजर चलाया जा रहा है. जिन लोगों को खेती-किसानी की जानकारी नहीं, जिनको देश की प्रगति अच्छी नहीं लगती. जिन्हें किसानों के चेहरे की खुशहाली उनकी समृद्धि अच्छी नहीं लगती. वे लोग तमाम प्रकार के षड़यंत्र कर रहे हैं.