मोदी सरकार का अहंकार: मंत्री ने कहा आंदोलन के पीछे विपक्ष और कमीशनखोर, तस्वीरों में दिखने वाले सारे किसान नहीं
मोदी सरकार के दो मंत्री जिस वक्त आंदोलन में शामिल किसान नेताओं से बात करके मसले को सुलझाने की कोशिश कर रहे थे, तीसरे मंत्री वी के सिंह विवादास्पद बयानबाज़ी में लगे रहे.
नई दिल्ली। कृषि कानूनों के विरोध में हो रहे किसानों के आंदोलन को लेकर मोदी सरकार के आज दो चेहरे देखने को मिले। एक तरफ कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल किसान नेताओं से विज्ञान भवन में बैठक करके मसले को सुलझाने की कोशिश करते नज़र आए। लेकिन उसी दौरान सरकार के एक और मंत्री वी के सिंह ने कुछ ऐसे बयान दिए, जिससे आंदोलन में शामिल किसान और भड़क सकते हैं।
दरअसल मोदी सरकार के मंत्री वी के सिंह ने कहा है कि इस किसान आंदोलन के पीछे विपक्ष और कमीशनखोरों का हाथ है, क्योंकि किसानों को नए कृषि कानूनों से कोई दिक्कत नहीं है। केंद्रीय मंत्री ने मीडिया से कहा कि तस्वीरों में दिखने वाले बहुत से लोग किसान नहीं लगते। सरकार ने वही किया है जो किसानों के हित में है। इन कृषि क़ानूनों से किसानों को नहीं, बल्कि दूसरे लोगों को दिक़्क़त हो रही है। विपक्ष के अलावा कमीशनखोरी करने वाले लोग इस आंदोलन के पीछे हैं।
Many of the people in pictures do not appear to be farmers. What is in the interest of farmers has been done. It's not the farmers who have a problem with this (farm laws), but others. Besides opposition, people who get commission are behind it (protest): Union Minister VK Singh pic.twitter.com/qQIg5bh8oy
— ANI (@ANI) December 1, 2020
वीके सिंह ने मंगलवार को किसान आंदोलन पर टिप्पणी करते हुए कहा कि जो भी किसानों के हित में था, उसे ही देखकर केंद्र सरकार कृषि कानूनों को लेकर आई है। वीके सिंह ने विपक्ष पर किसानों को बरगलाने का आरोप लगाया है। वीके सिंह ने यह भी कहा है कि किसान आंदोलन के पीछे विपक्ष के अलावा ऐसे लोग विरोध कर रहे हैं जिन्हें कमीशन मिलता है।
इससे पहले हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर भी किसान आंदोलन के बारे में विवादास्पद बयान दे चुके हैं। खट्टर ने कहा था कि किसानों के आंदोलन में उन्हें खालिस्तानी ताकतों का हाथ होने की सूचना मिली है। हालांकि अपने इस संगीन आरोप के समर्थन में कोई सबूत देने की स्थिति में वो नहीं थे। खट्टर ने उससे पहले ये भी कहा था कि किसानों के इस आंदोलन का संचालन पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह कर रहे हैं और इसमें सिर्फ पंजाब के किसान ही शामिल हैं। हरियाणा के किसान इस आंदोलन से दूर हैं।
हैरान करने वाली बात यह है कि एक तरफ खट्टर और वी के सिंह जैसे लोग आंदोलनकारी किसानों पर तरह-तरह की तोहमतें लगाने में होड़ ले रहे हैं, वहीं मोदी सरकार के कृषि मंत्री और रेल मंत्री उनसे बातचीत करके सारी समस्याएं दूर करने का भरोसा दिला रहे हैं। यहां तक कि सरकार में पीएम मोदी के बाद सबसे ताकतवर मंत्री अमित शाह भी ज़ाहिर तौर पर तो यही कह रहे हैं कि सरकार किसानों से बातचीत करके मसले को सुलझाना चाहती है। ऐसे में सवाल यह है कि क्या मोदी सरकार के कुछ मंत्री मोदी-शाह की लाइन से अलग चलने की हिमाकत कर रहे हैं या फिर सरकार की असली लाइन वही है जिस पर खट्टर और वी के सिंह जैसे लोग चल रहे हैं? और किसानों से बातचीत का दिखावा सिर्फ माहौल बनाने के लिए किया जा रहा है?