जानिए, मोदी सत्ता के इस वज़ीर ने क्यों बताया किसान आंदोलन को 'माओवादी एजेंडा'?
पीयूष गोयल ने किसान आंदोलन को बताया 'माओवादी एजेंडा' । नय कृषि क़ानूनों को लेकर सरकार और किसान के बीच जमकर ठनी हुई है। दोनों किसी भी सूरत में पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। भाजपा के अधिकतर नेताओं ने किसान आंदोलन को वामपंथी संगठनों का
जनशक्ति: पीयूष गोयल ने किसान आंदोलन को बताया 'माओवादी एजेंडा' । नय कृषि क़ानूनों को लेकर सरकार और किसान के बीच जमकर ठनी हुई है। दोनों किसी भी सूरत में पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। भाजपा के अधिकतर नेताओं ने किसान आंदोलन को वामपंथी संगठनों का एजेंडा कहा है। पीयूष गोयल ने कहा कि किसान आंदोलन में कुछ लेफ्ट के नेता घुस आए हैं जो इसे कुछ और मोड़ देना चाहते हैं। माओवादी नेता कुछ अलग ही एजेंडा चलाना चाह रहे हैं। उनका मक़सद इसका समाधान नहीं बल्कि कुछ और ही है।
देश में बनी रहेगी मंडी व्यवस्था
पीयूष गोयल ने कहा कि किसानों के नाम पर वामपंथी-माओवादी एजेंडा चलाने की कोशिश हो रही है। गोयल ने कहा कि किसानों के नाम पर जो लेफ्ट का एजेंडा चलाया जा रहा है उसे देश कभी भी स्वीकार नहीं करेगा। उन्होंने सवाल किया कि आखिर किसानों के मुद्दे से शरजील इमाम का क्या लेना-देना है?
मंत्री पीयूष गोयल ने कहा- "देश में मंडी की व्यवस्था बनी रहेगी। हमने किसानों के फायदे के लिए कानून बनाया है। हम किसी भी बात पर नहीं अड़े हैं। अगर कोई शंका है तो चर्चा को तैयार हैं। MSP पर फसलों की खरीद जारी रहेगी। किसानों की चिंताओं का समाधान निकाला जाएगा।''
कृषि संगठनों का क्या है आरोप?
कुछ किसान समूहों ने आरोप लगाया है कि अडाणी ग्रुप ऐसी फैसिलिटीज तैयार कर रहा है जहां अनाज स्टोर करके रखा जाएगा और बाद में उन्हें ऊंची कीमत पर बेचा जाएगा। वहीं, कंपनी ने अपने ताजा बयान में कहा है कि 'वर्तमान मुद्दों के सहारे जिम्मेदार कॉर्पोरेट पर कीचड़ उछालने की कोशिश की जा रही है।'
मुकेश अंबानी और गौतम अडानी, दोनों की नजरें भारत के कृषि क्षेत्र पर हैं। साल 2017 में अंबानी ने कृषि क्षेत्र में निवेश की अच्छा जताई थी। जियो प्लेटफॉर्म की फेसबुक के साथ पार्टनरशिप हुई है। जियोकृषि नाम का एक ऐप भी है जो खेत से प्लेट तक सप्लाई चेन तैयार करेगी। कंपनी का कहना है कि वह अपने 77% फल सीधे किसानों से खरीदती है। विरोध कर रहे किसानों का कहना है कि नए कानून इस तरह से बनाए गए हैं कि उससे ऐसे बड़े कारोबारियों को फायदा होगा।
किसानों की मांगे ?
- किसानों की मांग है कि अगर कोई कृषक आत्महत्या कर लेता है तो उसके परिवार को केंद्र सरकार से आर्थिक मदद मिले।
- किसान चाहते हैं कि 21 फसलों को MSP का लाभ मिले। फिलहाल किसानों को सिर्फ गेहूं, धान और कपास पर ही MSP मिलती है।
- किसानों की मांग है कि इस आंदोलन के दौरान जितने भी किसानों पर मामले दर्ज हुए हैं, उन्हें वापस लिया जाए।
- किसान चाहते हैं कि केंद्र द्वारा मानसून सत्र में पारित कराए गए तीनों कानून वापस लिए जाएं।
- किसानों की मांग है कि मिनिमम सपोर्ट प्राइस यानी MSP हमेशा लागू रहे।