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Opinion

'लोकतंत्र को शर्मसार' करने वाले डोनाल्ड ट्रंप से क्या अब भी दोस्ती रखेंगे PM मोदी?

पिछले वर्ष फरवरी महीने में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत की यात्रा की थी तब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात के अहमदाबाद को सजाने में करोड़ों रुपये खर्च कर दिए थे. यही नहीं मोदी ने डोनाल्ड ट्रंप को खुश करने के लिए कोरोना की परवाह किए बिना अहमदाबाद के मोटेरा स्टेडियम से लगभग एक लाख लोगों को इकट्ठा किया था.

लोकतंत्र को शर्मसार करने वाले डोनाल्ड ट्रंप से क्या अब भी दोस्ती रखेंगे PM मोदी?
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‘लोकतंत्र को शर्मसार’ करने वाले डोनाल्ड ट्रंप से क्या अब भी दोस्ती रखेंगे PM मोदी?

वाशिंगटन के 'संसद भवन' पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उकसावे पर उनके समर्थक उपद्रवियों ने हथियारों के साथ लोकतंत्र की खुलेआम हत्या कर दी. 'लोकतंत्र को शर्मसार' करने वाली इस धटना ने राजनीति में बढ़ती हिंसा का घिनौना चेहरा दिखा दिया है. इस घटना के बाद दुनिया के कई लोकतांत्रिक देशों पर इसका सीधा असर पड़ा है. अभी कुछ समय पहले ही दुनिया के सबसे ताकतवर नेताओं में शुमार डोनाल्ड ट्रंप के सितारे आसमान पर थे, कई देश उनके नाम से डर और सहम जाते थे लेकिन आज वह फर्श पर पर हैं. डोनाल्ड ट्रंप की इस हिंसक राजनीति पर दुनिया उनका मजाक उड़ा रही है. इस अमेरिकी राष्ट्रपति ने खुद ही दुनिया के सामने किरकिरी करवा ली है, अब डोनाल्ड ट्रंप अपने ही देश में छिपते फिर रहे हैं. यही नहीं उनके समर्थकों के वाशिंगटन के सीनेट में हमले के बाद कई सांसद और संगठनों ने ट्रंप को पद से हटाने की मांग तेज कर दी है.

आपको बता दें, नवंबर में हुए अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप जो बाइडेन से बुरी तरह हार गए थे. लेकिन ट्रंप अपनी हार मानने के लिए तैयार नहीं हैं. वे लगातार राष्ट्रपति चुनाव में धांधली को लेकर सवाल उठा रहे हैं. यही नहीं उन्होंने कई बार हिंसा को बढ़ावा देने के लिए उग्र रूप भी अपनाया है. इसके बाद राष्ट्रपति ट्रंप के समर्थक कई जगह उपद्रव भी मचा चुके हैं. आगामी 20 जनवरी को जो बाइडेन अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ लेने की तैयारी डोनाल्ड ट्रंप को रास नहीं आ रही है.

पिछले दिनों डोनाल्ड ट्रंप ने अपने समर्थकों से वाशिंगटन स्थित सीनेट (अमेरिकी संसद) का घेराव करने के लिए आह्वान किया था. ट्रंप के इस आदेश के बाद हजारों समर्थकों ने खुलेआम हथियारों के साथ सीनेट पर कब्जा करने की कोशिश की, इस दौरान वहां मौजूद सुरक्षाकर्मियों को गोली भी चलानी पड़ी. इस गोलीबारी में चार लोगों ने अपनी जान भी गंवा दी. डोनाल्ड ट्रंप और उनके समर्थकों के मचाए गए उपद्रव के बाद दुनिया ने अमेरिका का इतिहास में सबसे खराब दौर देखा. इस हिंसा और उपद्रव को बढ़ावा देने के लिए डोनाल्ड सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं.

दुनिया के तमाम राष्ट्राध्यक्ष अमेरिका में हुई लोकतंत्र को शर्मसार करने वाली घटना से स्तब्ध हैं. वाशिंगटन के सीनेट में हुई हिंसा के लिए तमाम देशों ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को सीधेेे तौर पर कटघरे में खड़ा किया है. कई देशों के नेताओं ने ट्रंप पर हिंसात्मक राजनीति बढ़ावा देनेेे के आरोप लगाए हैं. वाशिंगटन में हुई हिंसा का असर भारत पर भी पड़ा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घटना की निंदा करते हुए इसे लोकतंत्र के लिए दुखद बताया, अभी कुछ समय पहले तक पीएम मोदी डोनाल्ड ट्रंप को अपना सबसे अच्छा दोस्त कह कर दुनिया को संबोधित करते रहे थे, पीएम मोदी जब अमेरिका की यात्रा पर गए थे तब उन्होंने वहां ट्रंप के समर्थन में 'हाउदी मोदी' कार्यक्रम भी किया था.

वहीं पिछले वर्ष फरवरी महीने में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत की यात्रा की थी तब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात के अहमदाबाद को सजाने में करोड़ों रुपये खर्च कर दिए थे. यही नहीं मोदी ने डोनाल्ड ट्रंप को खुश करने के लिए कोरोना की परवाह किए बिना अहमदाबाद के मोटेरा स्टेडियम से लगभग एक लाख लोगों को इकट्ठा किया था. वहीं एक मंच पर ट्रंप के साथ संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने डोनाल्ड ट्रंप को अपना दुनिया का सबसे अच्छा दोस्त बताया था. अब सवाल यह कि क्या अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की हिंसात्मक राजनीति के बाद भी पीएम मोदी ट्रंप को अपना दोस्त कहेंगे ?

डोनाल्ड ट्रंप ने खुद ही दुनिया के सामने कराई फजीहत

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल के अंतिम दिनों में अमेरिका ने एक बार फिर हिंसा का रूप देखा. आइए आपको बताते हैं अमेरिका में हिंसा गोलीबारी होने के कारण क्या रहे. अमेरिका के कैपिटल हिल (संसद भवन) में इलेक्टोरल कॉलेज की प्रक्रिया चल रही थी जिसके तहत जो बाइडेन के राष्ट्रपति बनने पर मुहर की तैयारी थी, इसी दौरान हजारों की संख्या में ट्रंप समर्थकों ने वॉशिंगटन में मार्च निकाला और कैपिटल हिल पर धावा बोल दिया. ट्रंप के हजारों समर्थक हथियार लेकर चिल्ला-चिल्ला कर कह रहे थे कि डोनाल्ड ट्रंप को सत्ता में बनाए रखने के लिए वोटों की गिनती दोबारा होनी चाहिए. उसके बाद डोनाल्ड ट्रंप के समर्थकों ने संसद से सीनेटरों को बाहर किया और वहां कब्जा कर लिया. हालांकि सुरक्षाबलों ने इन्हें बाहर निकाला.

आपको बता दें कि ट्रंप के समर्थकों ने पहली बार इस तरह का बवाल नहीं किया है, इससे पहले भी ऐसे नजारे देखे जा चुके हैं. लेकिन कैपिटल हिल में घुसकर इस बार सभी हदें पार हो गईं. यही कारण रहा कि नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन, उपराष्ट्रपति कमला हैरिस और पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी इस विवाद की निंदा की, साथ ही इसके लिए डोनाल्ड ट्रंप को जिम्मेदार ठहराया. जो बाइडेन ने कहा कि ट्रंप को तुरंत देश से माफी मांगनी चाहिए. बता दें कि जब वॉशिंगटन में उनके समर्थक उपद्रव मचा रहे थे तब डोनाल्ड ट्रंप शांत थे. दूसरी ओर इस घटना के बाद उपराष्ट्रपति माइक पेंस ने इस पूरे विवाद की निंदा की और कहा कि हिंसा से कभी किसी की जीत नहीं होती है.

कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने इसे काला दिन बताया

वाशिंगटन में हुई हिंसा आगजनी और लोकतांत्रिक व्यवस्था को शर्मसार करने वाली इस घटना के बाद दुनिया के कई देशों ने इसे अमेरिकी इतिहास का काला दिन बताया. ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन, कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो, रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन और अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा, जर्मनी चांसलर एंजेला मर्केल समेत अन्य कई राष्ट्र प्रमुखों ने इस हिंसा की निंदा की. इसके अलावा दुनिया भर के नेताओं ने इस तरह की हिंसा का विरोध किया है.

वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाशिंगटन में हुई हिंसा पर चिंता व्यक्त की, पीएम मोदी ने कहा कि लोकतंत्र में सत्ता का हस्तांतरण शांतिपूर्ण ढंग से होना जरूरी है. इस हिंसा के बाद सोशल मीडिया ने भी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का बहिष्कार किया. फेसबुक ने डोनाल्ड ट्रंप का एक वीडियो साइट से हटा दिया है. इस वीडियो में ट्रंप अपने समर्थकों को संबोधित करते दिख रहे हैं. फेसबुक के वाइस प्रेसिडेंट ने कहा कि ऐसा करने से हिंसा में कमी लाने में मदद मिलेगी. वहीं टि्वटर ने भी ट्रंप का अकाउंट सस्पेंड कर दिया है. सोशल मीडिया साइट्स ने ट्रंप के एक वीडियो को विवादित बताया. ट्विटर ने चेतावनी दी कि ट्रंप ने भविष्य में नियम तोड़े तो उनका अकाउंट हमेशा के लिए बंद किया जा सकता है. अमेरिका में अगर यही हालात बने रहे तो संभव है डोनाल्ड ट्रंप को गिरफ्तार भी किया जा सकता है.

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