Gulzarilal Nanda Biography in Hindi | गुलजारीलाल नंदा की जीवनी

Gulzarilal Nanda Biography in Hindi | गुलज़ारीलाल नन्दा (Gulzarilal Nanda Biography in Hindi) एक भारतीय राजनेता और शिक्षाविद थे। अपनी साफ़-सुधरी छवि और कांग्रेस पार्टी के प्रति सदैव समर्पित गुलज़ारीलाल नंदा दो बार भारत के कार्यकारी प्रधानमंत्री बनाये गए।

Update: 2020-11-22 04:14 GMT

गुलजारी लाल नंदा का जीवन परिचय,जीवनी एवम इतिहास, कार्यकाल ( Gulzarilal Nanda biography and history in hindi)जाति, जन्म, मृत्यु

  • नाम गुलजारीलाल नंदा
  • जन्म 4 जुलाई 1898
  • जन्मस्थान सियालकोट, पंजाब (पकिस्तान)
  • पिता बुलाकी राम नंदा
  • माता ईश्वर देवी नंदा
  • पत्नी लक्ष्मी देवी
  • व्यवसाय राजनीतिज्ञ
  • नागरिकता भारतीय

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री गुलजारीलाल नंदा (Gulzarilal Nanda Biography in Hindi)

Gulzarilal Nanda Biography in Hindi: गुलज़ारीलाल नन्दा (Gulzarilal Nanda Biography in Hindi) एक भारतीय राजनेता और शिक्षाविद थे। अपनी साफ़-सुधरी छवि और कांग्रेस पार्टी के प्रति सदैव समर्पित गुलज़ारीलाल नंदा दो बार भारत के कार्यकारी प्रधानमंत्री बनाये गए, पहली बार जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु के बाद 1964 में उन्हें कार्यकारी प्रधानमंत्री बनाया गया और दूसरी बार वे लालबहादुर शास्त्री की मृत्यु हो जाने से 1966 में कार्यकारी प्रधानमंत्री बनाया गया। गुलज़ारीलाल नंदा (Former Prime Minister of India Gulzarilal Nanda) बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्ति थे। सादा जीवन उच्च विचार उनके जीवन का सिद्धांत था। राजनीति के अलावा उन्होंने शिक्षा और मजद्दोर संगठन के क्षेत्र में भी कार्य किया। 

गुलजारीलाल का प्रारंभिक जीवन (Gulzarilal Nanda Early Life) 

गुलज़ारीलाल नंदा का जन्म 4 जुलाई 1898 को सियालकोट, पंजाब (पकिस्तान) में हुआ था। इनके पिता बुलाकी राम नंदा तथा माता श्रीमती ईश्वर देवी नंदा थीं। वे एक हिन्दू पंजाबी परिवार से थे। 18 साल की उम्र में ही 1916 में इन्होने लक्ष्मीदेवी से विवाह किया। वे बहुत ही सरल स्वभाव के निष्ठावान व्यक्ति थे।

शिक्षा (Gulzarilal Nanda Education) :

इनकी प्रारम्भिक शिक्षा लाहौर, आगरा व् अमृतसर में हुई थी। व उच्चत्तर शिक्षा लाहौर के 'फोरमेन क्रिश्चयन कॉलेज' और इलाहबाद के विश्वविद्यालय से सम्पन्न हुई। गुलज़ारीलाल ने कला-संकाय एवम कानून शास्त्र में ग्रेजुएशन किया था। इन्होने इलाहबाद विश्वविद्यालय से रिसर्च स्कॉलर डिग्री भी प्राप्त की थी।

व्यावसायिक करियर (Gulzarilal Nanda Professional Career)

1920-1921 में वे अलाहाबाद यूनिवर्सिटी मजदूरो की समस्या पर रिसर्च विद्वान के पद पर कार्यरत थे और इसके बाद 1921 में वे बॉम्बे के नेशनल कॉलेज में इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर बने। उसी साल वे असहकार आंदोलन में भी शामिल हुए थे। 1922 में वे अहमदाबाद टेक्सटाइल लेबर एसोसिएशन के सेक्रेटरी बने।

प्रोफेसर की अच्छी जॉब होने के बावजूद गुलजारीलाल ने अपना काम छोड़ आजादी की लड़ाई में कूद पड़े और 1932 में 'सत्याग्रह आन्दोलन' में हिस्सा लेने के दौरान उन्हें जेल की यातना भी सहनी पड़ी। 1942 में भारत-छोडो आन्दोलन के दौरान उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया, जहाँ उन्हें 2 साल तक जेल में रहना पड़ा।

राजनीतिक करियर (Gulzarilal Nanda Political Career) :

  • गुलजारीलाल महात्मा गांधीजी के विचारो से काफी प्रभावित थे। वे सदैव उन्ही का अनुसरण पूरी निष्ठा से करते थे। 1921 में इन्होने महात्मा गांधीजी के नेतृत्व में "असहयोग-आन्दोलन" में भाग लिया। 
  • 1937-1939 में वे बॉम्बे विधानसभा के सदस्य रहे, इस समय इन्होने श्रम एवम आवास मंत्रालय सम्भाला। इसी कार्यकाल के दौरन नंदा जी ने 'श्रमिक विवाद विधेयक' को पास करवाया। उन्हें बॉम्बे हाउसिंग बोर्ड व् हिंदुस्तान मजदूर संघ का अध्यक्ष भी बनाया गया। 1947-1950 में इन्हें विधायक नियुक्त किया गया।
  • उन्होंने कस्तूरबा मेमोरियल ट्रस्ट का ट्रस्टी बनकर, हिंदुस्तान मजदूर सेवक संघ का सेक्रेटरी बनकर और बॉम्बे हाउसिंग बोर्ड का चेयरमैन बनकर सेवा भी की थी। भारतीय राष्ट्रिय व्यापार संघ को स्थापित करने में भी उन्हें बहुत प्रयास किये थे और बाद में वे उसके अध्यक्ष भी बने।
  • 1947 में सरकारी दूत बनकर वे इंटरनेशनल लेबर कांफ्रेंस में उपस्थित रहने के लिए जिनेवा गये। कांफ्रेंस में उनकी नियुक्ती "दी फ्रीडम ऑफ़ एसोसिएशन कमिटी" पर काम करने के लिए की गयी और इस वजह से उन्हें स्वीडन, फ्रांस, स्विट्ज़रलैंड, बेल्जियम और इंग्लैंड जैसे देशो की यात्रा भी करनी पड़ी थी। इन देशो में जाकर उन्होंने मजदूरो की परिस्थिति और समस्याओ का अभ्यास किया था।
  • 1950 में देश का सविधान लागु होने के बाद, वे योजना आयोग के वाईस-चेयरमैन बनाये गये। भारत की पंच-वर्षीय योजनाओ में इनका भरपूर सहयोग प्राप्त हुआ।
  • 1952 के जनरल चुनाव में उनकी नियुक्ती प्लानिंग सिंचाई और पॉवर के मिनिस्टर के रूप में की गयी। 1955 में सिंगापूर में आयोजित कमिटी में उन्होंने भारतीय दूतो का नेतृत्व भी किया था और साथ ही 1959 में जिनेवा में आयोजित इंटरनेशनल लेबर कांफ्रेंस में भी उन्होंने भारतीय दूतो का नेतृत्व किया था।
  • 1957-1967 में सिचाई एवम उर्जा विभाग को भी सम्भाला। 1963-1964 में इन्होने श्रम और रोजगार विभाग के कार्यभार का निर्वाह किया। वे प्रथम 5 आम चुनावों में लोकसभा के सदस्य चुने गये। 1959 में फ़ेडरल रिपब्लिक ऑफ़ जर्मनी यूगोस्लाविया और ऑस्ट्रिया का भ्रमण भी किया था।

कार्यकारी प्रधानमंत्री बने (Gulzarilal Nanda As a Acting Prime Minister)

गुलजारीलाल का प्रधानमंत्री के तौर पर कार्यकाल 2 बार रहा। 1962 के जनरल चुनाव में साबरकंठा, गुजरात से उनकी नियुक्ती लोकसभा के लिए की गयी थी। 1962 और 1963 में वे मजदुर और बेरोजगारी के यूनियन मिनिस्टर भी थे और 1963 से 1966 तक होम अफेयर्स के मिनिस्टर भी बने थे। पंडित जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु के बाद मई 1964 को वे भारत के प्रधानमंत्री बनाये गये।

1965 में पाकिस्तान के युद्ध की समाप्ति के बाद 1966 में लालबहादुर शास्त्री जी की आकस्मिक मौत के बाद गुलजारीलाल को पुन: कार्यवाहक प्रधानमंत्री बनाये गये।

अवार्ड्स (Gulzarilal Nanda Awards)

1997 में सवोच्च नागरिक सम्मान "भारत रत्न" दिया गया।

सर्वश्रेष्ठ नागरिक सम्मान 'पद्म विभूषण' से नवाजा गया।

मृत्यु (Gulzarilal Nanda Death)

गुलजारीलाल जी का निधन 15 जनवरी 1998 को दिल्ली में उनके निवास में हुआ। इन्हें 100 वर्षो की दीर्घ आयु प्राप्त हुई। सरल एवम शान्त स्वभाव के इस शक्स ने आजीवन के लिए सबके दिलो में जगह बनाई। 

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