Kailash Satyarthi Biography in Hindi | कैलाश सत्यार्थी का जीवन परिचय
Kailash Satyarthi Biography in Hindi | कैलाश सत्यार्थी एक भारतीय हैं, जो बच्चों के अधिकारों के लिए काम करते हैं। कैलाश सत्यार्थी बाल-श्रम के खिलाफ आन्दोलन भी कर चुके हैं। इन्होंने ही ‘बचपन बचाओ आन्दोलन’ की शुरुआत 1980 में की थी, जिसके बाद से वे दुनिया के 144 देशों के 83 हजार बच्चों के अधिकारों को बचाने के लिए काम कर चुके हैं।
Kailash Satyarthi Biography in Hindi | कैलाश सत्यार्थी का जीवन परिचय
- नाम कैलाश सत्यार्थी
- जन्म 11 जनवरी 1954
- जन्मस्थान मध्यप्रदेश
- पिता रामप्रसाद सत्यार्थी
- माता चिरोंजीबाई
- पत्नी सुमेधा
- पुत्र भुवन रिभु
- पुत्री अस्मिता सत्यार्थी
- शिक्षा इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग
- व्यवसाय भारतीय कार्यकर्ता
- पुरस्कार नोबेल शांति पुरस्कार
- नागरिकता भारतीय
भारतीय कार्यकर्ता कैलास सत्यार्थी (Kailash Satyarthi Biography in Hindi)
Kailash Satyarthi Biography in Hindi | कैलाश सत्यार्थी एक भारतीय हैं, जो बच्चों के अधिकारों के लिए काम करते हैं। कैलाश सत्यार्थी बाल-श्रम के खिलाफ आन्दोलन भी कर चुके हैं। इन्होंने ही 'बचपन बचाओ आन्दोलन' की शुरुआत 1980 में की थी, जिसके बाद से वे दुनिया के 144 देशों के 83 हजार बच्चों के अधिकारों को बचाने के लिए काम कर चुके हैं।
प्रारंभिक जीवन (Kailash Satyarthi Early Life)
कैलाश सत्यार्थी का जन्म 11 जनवरी को 1954 को मध्यप्रदेश के विदिशा में हुआ। उनका नाम शुरू में कैलाश शर्मा था, जिसे उन्होंने आगे चलकर सत्यार्थी कर लिया। उनके पिताका नाम रामप्रसाद सत्यार्थी था और उनकी माता नाम चिरोंजीबाई था।
शिक्षा (Kailash Satyarthi Education)
उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद यहीं से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की उपाधि हासिल की। साथ ही इन्होंने हाई-वोल्टेज इंजीनियरिंग में स्नातकोत्तर की उपाधि हासिल की। अपनी पढ़ाई पूरी कर लेने के बाद इन्होंने कुछ समय तक एक काॅलेज में बतौर शिक्षक अपनी सेवाएं भी दी लेकिन इस काम में उनका मन ज्यादा दिन तक नहीं लगा।
शुरुआती कार्य (Kailash Satyarthi Starting Work)
कैलाश सत्यार्थी का झुकाव शुरू से ही समाज सुधार और सेवा की दिशा में था। काॅलेज में पढ़ाते हुए आखिर में उन्होंने निर्णय ले ही लिया कि एक इंजीनियर के तौर पर अपना करिअर बनाने के बजाय वे अपना जीवन समाजसेवा के लिए समर्पित कर देंगे और खासकर बच्चों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए काम करेंगे।
1980 में उन्होंने इंजीनियरिंग को अलविदा कहा और बाॅन्डेड लेबर लिबरेशन फ्रंट के महासचिव बन गए। इसके बाद उन्होंने बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए ढेरों काम किए। उनके काम को पहचान मिली "बचपन बचाओ आंदोलन" से। जिसकी धमक पूरी दुनिया में सुनाई दी और पूरी दुनिया ने दक्षिण एशिया के बच्चों की तरफ भी ध्यान देना शुरू किया।
अपने शुरूआती दिनों से ही वे सुधारक की भूमिका में आए और आज उनके प्रयासों से 80 हजार से ज्यादा बच्चों का जीवन सुधरा है और उन्हें बेहतर शिक्षा तथा जीवनयापन के बेहतर अवसर प्राप्त हुए हैं। उनके काम के ग्राफ को नापने का एक तरीका यह भी है, कि वे ऐसा नेटवर्क बनाने में सफल हुए हैं जिसे दुनिया में बच्चों के लिए काम करने के लिए एक व्यक्ति द्वारा बनाया सबसे बड़ा नेटवर्क माना जा सकता है।
संगठनों से जुड़े (Kailash Satyarthi Associated with Organizations)
सत्यार्थी ने बाल अधिकारों के लिए काम करते हुए ढेरों संगठनों में जिम्मेदार पदों पर महत्वपूर्ण कर्तव्यों का निर्वाह भी किया है। जिनमें से ग्लोबल कैम्पेन फाॅर एजूकेशन के अध्यक्ष रहें जहां, 1999 से 2011 तक की लंबी अवधि तक इनकी सेवाओं से पूरी दुनिया के बच्चों को मदद मिली। वे एक्शन एड ऑक्सफेम और एजूकेशन इंटरनेशनल के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं।
सत्यार्थी को 'गुडविव इंटरनेशनल' की स्थापना के लिए भी जाना जाता है जो रगमार्क के नाम से ज्यादा मशहूर है। यह दक्षिण एशिया की पहली कपड़े का निर्माण करने वाली संस्थान है जो अपने उत्पाद के निर्माण से लेकर उसकी पैकिंग और लेबलिंग तक कहीं भी किसी भी रूप में बाल श्रम का उपयोग नहीं करती है
सत्यार्थी ने बच्चों से काम लेने को मानव अधिकारों से जोड़ा और इसके खिलाफ आवाज उठाई है। वे इसे बच्चों के साथ होने वाले वैश्विक शोषण का सबसे प्रचलित रूप मानते हैं। वे यह भी कहते हैं कि इसकी वजह से ही दुनिया में गरीबी, अशिक्षा, बेरोजगारी और जनसंख्या वृद्धि जैसे मुद्दे आज मानवता के सामने खड़े हुए हैं। कैलाश सत्यार्थी ने कई अध्ययनों के माध्यम से अपनी बात दुनिया के सामने रखी है।
यूनेस्को ने कैलाश सत्यार्थी के काम को समझा है और उन्हें अपने द्वारा गठित बाॅडी ग्लोबल पार्टनरशिप फोर एजूकेशन जो बच्चों की शिक्षा के लिए काम करती है, उसमें सदस्य बनाया है। इसके अलावा भी सत्यार्थी कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों और कमेटियों के सदस्य नियुक्त किए गए हैं, जिनमें सेंटर फाॅर विक्टिम ऑफ टार्चर-संयुक्त राज्य अमेरिका द इंटरनेशनल लेबर राइट फंड और इंटरनेशनल कोकोआ फाउंडेशन शामिल है
फिलहाल वे संयुक्त राष्ट्र संघ के मिलेनियम डवलपमेंट गोल के प्रमुख 2015 के बाद बाल श्रम और बंधुआ मजदूरी को मिटाने के लिए काम कर रहे हैं। बाद में मलाला यूसुफजई भी कैलाश सत्यार्थी के मार्ग में चली।
पुरस्कार और सम्मान (Kailash Satyarthi Awards)
- 1993 में एलेक्टेड अशोका फेलो
- 1994 में द आचेनेर इंटरनेशनल पीस अवार्ड
- 1995 में द ट्रम्पटर अवार्ड
- 1995 में रोबर्ट एफ. कैनेडी ह्यूमन राईट अवार्ड
- 1998 में गोल्डन फ्लैग अवार्ड
- 1999 में फ्राइडरिच एबर्ट स्तिफ्टउंग अवार्ड
- 2006 में आज़ादी पुरस्कार
- 2007 में US स्टेट डिपार्टमेंट द्वारा हीरो का सम्मान
- 2007 में इटालियन राज्यसभा का गोल्ड मेडल
- 2008 में अल्फोन्सो कामिन इंटरनेशनल अवार्ड
- 2009 में लोकशाही का सर्रथक पुरस्कार
- 2014 में नोबेल शांति पुरस्कार
- 2015 में अमित यूनिवर्सिटी, गुरगाव द्वारा डॉक्टरेट की उपाधि
- 2015 में हॉवर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा "साल का सर्वश्रेष्ट परोपकारी" का सम्मान