Rakesh Sharma Biography in Hindi | राकेश शर्मा का जीवन परिचय
Rakesh Sharma Biography in Hindi| भारत के पहले अंतरिक्ष यात्रा करने वाले राकेश शर्मा Rakesh Sharma था। जैसे उन्होंने अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरी वैसे ही उन्होंने इतिहास रच दिया क्योकि वो अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले पहले भारतीय बन गए।
Rakesh Sharma Biography in Hindi | राकेश शर्मा का जीवन परिचय
- नाम राकेश शर्मा
- जन्म 13 जनवरी 1949
- जन्मस्थान पटियाला, पंजाब
- पिता पटियाला देवेंद्रनाथ शर्मा
- माता तृप्ता शर्मा
- पत्नी मधु शर्मा
- पुत्र कपिल शर्मा
- पुत्री मानसी शर्मा
- व्यवसाय अंतरिक्ष यात्री
- पुरस्कार अशोक चक्र
- नागरिकता भारतीय
भारतीय अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा (Rakesh Sharma Biography in Hindi)
Rakesh Sharma Biography in Hindi| भारत के पहले अंतरिक्ष यात्रा करने वाले राकेश शर्मा Rakesh Sharma था। जैसे उन्होंने अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरी वैसे ही उन्होंने इतिहास रच दिया क्योकि वो अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले पहले भारतीय बन गए। सोवियत संघ के हीरो राकेश शर्मा भारतीय वायु सेना के पायलट थे जिन्होंने 3 अप्रैल 1984 को लॉन्च हुए सोयुज T-11 को इंटेरकॉस्मोस प्रोग्राम के तहत उड़ाया और 8 दिन तक अंतरिक्ष में रहने के बाद 11 अप्रैल को कजाखस्तान में उनकी लैंडिंग हुई थी।
राकेश शर्मा प्रारंभिक जीवन (Rakesh Sharma Early Life)
राकेश शर्मा का जन्म 13 जनवरी 1949 को पंजाब के पटियाला में हुआ था। उनकी माता का नाम तृप्ता शर्मा और पिता का नाम देवेन्द्र शर्मा था। राकेश के जन्म के बाद उनके माता पिता आन्ध्रप्रदेश के हैदराबाद शहर में रहने के लिए चले गए।
राकेश शर्मा शिक्षा (Rakesh Sharma Education)
पढाई के लिए राकेश का दाखिला हैदराबाद के सेंट जॉर्ज ग्रामर स्कूल में कराया गया। स्कूली शिक्षा प्राप्त करने के बाद राकेश शर्मा ने स्नातक की पढाई के लिए हैदराबाद स्थित उस्मानिया विश्वविद्यालय में दाखिला लिया। शर्मा को बचपन से ही विज्ञान के विषयों से लगाव था। स्कूल के दिनों से ही वे इलेक्ट्रॉनिक्स में रुचि दिखाने लगे थे। स्नातक की पढाई के दौरान ही 1966 में उनका चयन राष्ट्रीय सुरक्षा अकादमी (NDA) में हुआ और वे ट्रेनिंग के लिए चले गए।
राकेश शर्मा का निजी जीवन (Rakesh Sharma Married Life)
राकेश शर्मा का विवाह कर्नल पी एन शर्मा की बेटी मधु शर्मा से हुआ था। पति-पत्नी दोनों रुसी भाषा के भी ज्ञाता हैं। इनके बेटे का नाम कपिल और बेटी का नाम कृतिका है और वो दोनों मीडिया के क्षेत्र से जुड़े हुए हैं।
पायलट के पद पर नियुक्ति (Rakesh Sharma As a Pilot) :
1971 से उन्होंने एयरक्राफ्ट में उड़ान भरी थी। 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान उन्होंने युद्ध के मैदान में मिग विमान का सफलतापूर्वक संचालन कर अपनी योग्यता को साबित किया।
12 सितम्बर 1982 को सोवियत इंटरकॉसमॉस स्पेस प्रोग्राम और इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाईजेशन (ISRO) की तरफ से वे अंतरिक्ष जाने वाले समूह के सदस्य बने।
अंतरिक्ष यात्रा (Rakesh Sharma As a Space Traveler) :
राकेश शर्मा का जन्म 13 जनवरी 1949 को पंजाब के पटिआला शहर में हुआ था। उनके पिता का नाम देवेन्द्र शर्मा तथा माता का नाम तृप्ता शर्मा था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा हैदराबाद के सेंट जॉर्ज ग्रामर स्कूल में हुई। इसके उपरान्त उन्होंने हैदराबाद की उस्मानिया यूनिवर्सिटी से स्नातक की शिक्षा ग्रहण की।
करियर
सन 1966 में उनका चयन राष्ट्रिय सुरक्श अकादमी (एनडीए) में हुआ और वे इंडियन एयर फोर्स में कैडेट के रूप शामिल हुए। एनडीए पास करने के बाद वे 1970 में भारतीय वायु सेना में बतौर टेस्ट पायलट भर्ती हो गये। सन 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान राकेश शर्मा ने मिग एअर क्रॉफ्ट से महत्वपूर्ण सफलता हासिल की। अपनी योग्यता और मेहनत के बल पर वे आगे बढ़ते रहे और सन 1984 में स्क्वाड्रन लीडर के पद पर पहुँच गए। इस बीच 20 सितम्बर 1982 को उनका चयन भारत (इंडियन स्पेस रिसर्च सेण्टर) और सोवियत संघ (इन्टरकॉसमॉस) के एक संयुक्त अंतरिक्ष मिशन के लिए हो गया जिसके अंतर्गत उन्हें अंतरिक्ष यात्रा का मौका मिलने वाला था।
अंतरिक्ष यात्रा
भारत (इंडियन स्पेस रिसर्च सेण्टर) और सोवियत संघ (इन्टरकॉसमॉस) के इस संयुक्त अंतरिक्ष मिशन में चयन के उपरान्त राकेश शर्मा को सोवियत संघ के कज़ाकिस्तान में स्थित बैकानूर में अंतरिक्ष प्रशिक्षण के लिए भेज दिया गया। उनके साथ एक और भारतीय रविश मल्होत्रा भी भेजे गए थे। प्रशिक्षण के उपरान्त आखिर वो दिन आ ही गया जिसका सभी भारतियों को इंतज़ार था। 3 अप्रैल, 1984 का वह ऐतिहासिक दिन था, जब तत्कालीन सोवियत संघ के बैकानूर से सोयूज टी-11 अंतरिक्ष यान ने तीन अंतरिक्ष यात्रियों के साथ उड़ान भरी। इस अंतरिक्ष दल में राकेश शर्मा के अतिरिक्त अंतरिक्ष यान के कमांडर वाई. वी. मालिशेव और फ़्लाइट इंजीनियर जी. एम स्ट्रकोलॉफ़ थे। अंतरिक्ष यान सोयूज टी-11 ने सफलता पूर्वक तीनों यात्रियों को सोवियत रूस के ऑर्बिटल स्टेशन सेल्यूत-7 में पहुँचा दिया।
राकेश शर्मा ने अंतरिक्ष में कुल 7 दिन 21 घंटे और 40 मिनट बिताया। इस अंतरिक्ष दल ने 43 प्रयोग किये जिसके अंतर्गत वैज्ञानिक और तकनीकी अध्ययन शामिल था। इस मिशन पर राकेश शर्मा को बायो-मेडिसिन और रिमोट सेंसिंग के क्षेत्र से सम्बंधित जिम्मेदारी सौंपी गयी थी।
इस अंतरिक्ष यात्रा के दौरान उड़ान दल ने मास्को में सोवियत अधिकारियों के साथ और फिर तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी के साथ एक जॉइंट टेलीविज़न न्यूज़ कांफ्रेंस किया। जब इंदिरा गाँधी ने राकेश शर्मा से पूछा, "अपना भारत अंतरिक्ष से कैसा दिखता है?" तब उन्होंने जबाब दिया, "सारे जहाँ से अच्छा ….."। इस मिशन के साथ भारत अंतरिक्ष में मानव भेजने वाले देशों की श्रेणी में आ गया। भारत ऐसा करने वाला विश्व का 14वां देश बन गया। इस महत्वपूर्ण क्षण को लाखों भारतवासियों ने अपने टेलीविज़न सेट पर देखा।
इसके पश्चात राकेश शर्मा भारतीय वायु सेना से विंग कमाडर के पद पर सेवानिवृत्त हो गए और 'हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड' में टेस्ट पायलट के तौर पर कार्य करने लगे। उन्होंने सन 1992 तक 'हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड' के नाशिक मंडल में बतौर मुख्य टेस्ट पायलट कार्य किया। राकेश शर्मा लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एल सी ए) 'तेजस' के विकास से भी जुड़े रहे।
सम्मान
अंतरिक्ष से वापस लौटने के उपरान्त सोवियत सरकार ने उन्हें 'हीरो ऑफ़ सोवियत यूनियन' के सम्मान से नवाज़ा। भारत सरकार ने उन्हें शान्ति-काल के सबसे उच्च बहादुरी पुरस्कार 'अशोक चक्र' से सम्मानित किया।
टाइम लाइन (जीवन घटनाक्रम)
- 1949: राकेश शर्मा का जन्म पटिआला के एक पंजाबी परिवार में हुआ
- 1966: उनका चयन राष्ट्रिय सुरक्षा अकादमी (एन.डी.ए.) में हो गया
- 1970: एन.डी.ए. से निकलने के बाद राकेश शर्मा को भारतीय वायु सेना में टेस्ट पायलट नियुक्त हुए 1971: राकेश ने रूसी विमान मिकोयाँ-गुरेविच उड़ाया
- 1982: 20 सितम्बर 1982 को उनका चयन भारत (इंडियन स्पेस रिसर्च सेण्टर) और सोवियत संघ (इन्टरकॉसमॉस) के एक संयुक्त अंतरिक्ष मिशन के लिए हुआ
- 1984: अंतरिक्ष यात्रा करने वाले पहले भारतीय बने
- 1987: भारतीय वायु सेना से विंग कमाडर के पद पर सेवानिवृत्त हो गए
- 1987: 'हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड' में टेस्ट पायलट के तौर पर कार्य करने लगे
- 2006: राकेश ने भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की एक समिति में भाग लिया जिसने एक नए भारतीय अन्तरिक्ष उड़ान कार्यक्रम को स्वीकृति दी
अवार्ड और सम्मान (Rakesh Sharma Awards)
अंतरिक्ष से लौटने के बाद उन्होंने "हीरो ऑफ़ सोवियत संघ" के पद से सम्मानित किया गया था।
भारत सरकार ने उन्हें अपने सर्वोच्च अवार्ड "अशोक चक्र" से सम्मानित किया था।
उनके अथक प्रयासों और अटूट महेनत के बल पर ही उन्होंने 8 दीनो का अंतरिक्ष सफ़र तय किया था और पूरी दुनिया को बता दिया था की यदि दिल से किसी सपने को पूरा करने की ठाने तो कुछ भी असंभव नही। भारत के लिए राकेश शर्मा किसी कोहिनूर से कम नही थे, भारतवासी उनके अतुल्य योगदान को हमेशा याद रखेंगे।