नोबेल पुरस्कार क्यों शुरू किये गए थे? (Why the Nobel Prizes were started?)
डायनामाइट के आविष्कारक के नाम से मशहूर प्रसिद्द वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल का जन्म 1833 में स्टॉकहोम (स्वीडन) में हुआ था, अल्फ्रेड नोबेल जब 18 साल के थे तो उन्हें रसायन विज्ञान की पढ़ाई के लिए अमेरिका भेजा गया था, अल्फ्रेड नोबेल ने 1867 में डाइनामाइट की खोज की थी।
डायनामाइट के आविष्कारक के नाम से मशहूर प्रसिद्द वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल का जन्म 1833 में स्टॉकहोम (स्वीडन) में हुआ था, अल्फ्रेड नोबेल जब 18 साल के थे तो उन्हें रसायन विज्ञान की पढ़ाई के लिए अमेरिका भेजा गया था, अल्फ्रेड नोबेल ने 1867 में डाइनामाइट की खोज की थी।
अल्फ्रेड नोबेल बहुत ही जिज्ञाशु प्रवृत्ति के थे, यही कारण है कि उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी में कुल 355 आविष्कार (innovations) किए थे, हालाँकि उनकी सबसे क्रांतिकारी खोज 1867 में डायनामाइट के रूप में थी, उन्होंने डायनामाइट का आविष्कार करके बहुत दौलत और शोहरत कमाई थी।
अपनी पढाई पूरी करने के बाद वह अपने पिता के स्वीडन स्थित कारखाने में विस्फोटकों और खासकर "नाइट्रोग्लिसरीन" के अध्ययन में लग गए, सितंबर 3, 1864 को भयानक विस्फोट के कारण पिता का कारखाना नष्ट हो गया और इस घटना में अल्फ्रेड के छोटे भाई की भी मौत हो गयी थी। अल्फ्रेड नोबेल की मृत्यु इटली में दिल का दौरा पड़ने से 10 दिसंबर 1896 को हुई थी।
नोबेल पुरस्कार शुरू होने के पीछे की घटना-
दरअसल नोबेल पुरस्कार को शुरू करने के पीछे एक अखबार में गलती से छपी एक खबर थी, सन 1888 में एक अखबार ने गलती से छाप दिया "मौत के सौदागर की मृत्यु" अर्थात अल्फ्रेड नोबेल की मृत्यु हो गयी है, अख़बार ने अल्फ्रेड को डाइनामाइट का आविष्कार करने के कारण हजारों लोगों की मौत के लिए जिम्मेदार भी ठहराया था, अपनी मौत की यह झूठी खबर खुद अल्फ्रेड ने भी पढ़ी।
लेकिन इस अख़बार में उनके लिए इस्तेमाल किये गए शब्द "मौत के सौदागर" ने अल्फ्रेड नोबेल को बुरी तरह से झकझोर दिया था, सहसा उन्होंने सोचा कि उनकी मौत की यह खबर कभी ना कभी तो सच अवश्य होगी; तो क्या दुनिया उन्हें इसी नाम से जानेगी ? उन्होंने निश्चय किया कि वह अपने व्यक्तित्व पर लगने वाले इस दाग को मिटा देंगे। अल्फ्रेड नोबेल ने 27 नवंबर 1895 को अपनी वसीयत लिखी जिसमें उन्होंने अपनी संपत्ति का सबसे बड़ा हिस्सा एक ट्रस्ट बनाने के लिए अलग कर दिया।
सभी करों को काटने के बाद अल्फ्रेड नोबेल की कुल संपत्ति का 94% हिस्सा अर्थात 31,225,000 स्वीडिश क्रोनोर को पांच नोबेल पुरस्कार की स्थापना के लिए आवंटित कर दिया गया था। अल्फ्रेड नोबेल की इच्छा थी कि इस रकम पर मिलने वाले ब्याज से हर साल उन लोगों को सम्मानित किया जाए जिनका काम मानवजाति के लिए सबसे कल्याणकारी पाया जाए।
इस प्रकार नोबेल पुरस्कार हर साल 6 क्षेत्रों में उन लोगों को दिया जाता है जिन्होंने मानव कल्याण को बढ़ाने की दिशा में कार्य किया होता है, यही कारण है कि नोबेल पुरस्कार ज्यादातर उन्ही लोगों को दिया गया है जिन्होंने किसी बीमारी को दूर करने के लिए कोई दवाई या टीका विकसित किया होता है या विश्व में शांति एवं सौहार्द्र बढ़ाने के लिए अथक प्रयास किये हों।
नोबेल पुरस्कार राशि की व्यवस्था कैसे होती है?
सन 1895 में जब नोबेल पुरस्कारों के लिए कोष की स्थापना की गयी थी उस समय कोष में 31,225,000 स्वीडिश क्रोनोर जमा किया गये थे, वर्तमान में नोबेल कोष में 1,702 मिलियन स्वीडिश क्रोनोर जमा हैं और एक नोबेल पुरस्कार विजेता को 9 मिलियन स्वीडिश क्रोनोर दिए जाते हैं।
इस प्रकार नोबेल समिति हर साल लगभग 54 मिलियन स्वीडिश क्रोनोर पुरस्कार राशि के रूप में बाँटती है। नोबेल पुरस्कारों की इनामी राशि हर साल नोबेल फाउंडेशन की आय पर निर्भर करती है। "नोबेल कोष में जमा पैसे को सुरक्षित माने जाने वाली सिक्योरिटीज में निवेश कर दिया जाता है और इससे प्राप्त होने वाले ब्याज को नोबेल पुरस्कार विजेताओं में बांटा जाता है।"
सन 1901 से 2017 के बीच 585 नोबेल पुरस्कार 923 लोगों को दिये गए हैं, वर्ष 2017 में नोबेल अवार्ड विजेता को रु. 72,227,297 (सात करोड़ 22 लाख, 27 हजार, दो सौ, नब्बे-सात और पैंतीस पैसे) दिए गये थे जो कि 90 लाख स्वीडिश क्रोनोर के बराबर है। ज्ञातव्य है कि अब तक 8 भारतीयों को नोबेल पुरस्कार मिल चुका है और नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले पहले भारतीय रबिन्द्र नाथ टैगोर थे।